PICs: ऐसा भी है एक बाबा, जंजीरों में जकड़कर करता है पेशेंट का ट्रीटमेंट
यहां बाबा आने वाले पेशेंट का ट्रीटमेंट जंजीरों में जकड़कर करता है। लोगों की मानें तो यहां की मान्यता है कि जिन्हें पागल घोषित कर दिया जाता है उनका इलाज बाबा झाम दास की कुटिया पर किया जाता है।
अमेठी। बीजेपी 'मेक इन इंडिया' का नारा देकर लोगों को जगा रही है, लेकिन 21वीं सदी के देशवासी अब भी पुराने तौर तरीकों के साथ अपनी जिंदगी जी रहे हैं। जिले के जामो थाने से 14 किलोमीटर दूर बनी बाबा झाम दास की कुटिया की तस्वीरें इसका प्रमाण हैं। यहां बाबा आने वाले पेशेंट का ट्रीटमेंट जंजीरों में जकड़कर करता है। जिसे देखकर बड़ा सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के मेक इन इंडिया की तस्वीर ऐसी ही है?
जामो के बाबा झाम दास की कुटिया का मामला
आपको बता दें कि अमेठी के जामो थाना क्षेत्र से लगभग 14 किलोमीटर स्थित बाबा झाम दास की कुटिया के बारे में अमेठी का ऐसा कौन सा व्यक्ति है जो नहीं जानता। पागल, मानसिक रूप से विक्षिप्त ऐसे सभी व्यक्तियों का इलाज बाबा झाम दास की कुटिया में दशकों से हो रहा है। लेकिन इलाज का जो तरीका है वो हैरान करने वाला है और इस पर उंगलियां भी उठ रही हैं।
गले में लोहे की जंजीर पहना बांस के सहारे पेड़ से दिया जाता है बांध
लोगों की मानें तो यहां की मान्यता है कि वो व्यक्ति जो मानसिक रूप से परेशान है या कि जिन्हें पागल घोषित कर दिया जाता है उनका इलाज बाबा झाम दास की कुटिया पर किया जाता है। लोगों की मानें तो इलाज के नाम पर मरीज के गले में लोहे की जंजीर पहना बांस के सहारे उन्हें पेड़ से बांध दिया जाता है। यही नहीं इन व्यक्तियों को कुटिया में बने हौज में सुबह और शाम नहलाने के लिए खोला जाता है और फिर बाबा की समाधि का दर्शन करा दोबारा बांध दिया जाता है।
प्रत्येक पूर्णमासी को लगता है बड़ा मेला
स्थानीय लोगों की मानें तो यहां आज से नहीं बल्कि दशकों से लोगों का इलाज चल रहा है। फिलहाल यहां की पुजारिन की मानें तो दूर-दूर से वो लोग यहां आते हैं जिनका इलाज कहीं नहीं हो पाता है, और फिर वो यहां से ठीक होकर जाते हैं। इलाज के नाम पर केवल मरीज को जंजीरों में जकड़ा जाता है और बाबा की भभूत खिलाई जाती है और सुबह शाम सगरा में नहलाया जाता है। यही नहीं यहां प्रत्येक पूर्णमासी को बड़ा मेला लगता है और केवल दिमागी रूप से परेशान लोगों का इलाज ही नहीं बल्कि और भी कई इलाज किए जाते हैं। लोगों की माने तो श्वान के काटने पर भी लोग पागल हो जाते हैं, लेकिन यहां वो भी ठीक होकर जाते हैं।
हाईटेक जमाने में इस तरह का इलाज कितना बेहतर है आप समझ सकते हैं
यहां के लोग डॉक्टर पर कम और ऐसे अंधविश्वास बाबाओं का ज्यादा यकीन करते हैं और इलाज कराते हैं। इस मामले पर ना तो वहां के स्थानिय नेता कुछ कहते हैं और ना ही प्रशासन, सभी मौन हैं। कोई भी ऐसे इलाज और बाबा को लेकर बोलना नहीं चाहता है।
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