जब घोड़ी चढ़कर जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे अटल बिहारी वाजपेयी
लखनऊ/ बलरामपुर। पूर्व प्रधानमंत्री व वयोवृद्ध नेता अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को 5 बजकर 5 मिनट पर निधन हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी जी कालजयी नेता रहे हैं और उनके जीवन से जुड़े अनेक ऐसे पहलू हैं जो आज के नेताओं और आमजन के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। अटल जी जमीनी स्तर से जुड़े नेता रहे हैं अपने चुनाव प्रचार के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल रहा हो गया गाड़ी में धक्का लगाने के लेकर घोड़ा चढ़कर जनसभा तक पहुंचने का वाकया रहा हो, ये सभी उनके जीवन के ऐसे हिस्से हैं जो उन्हें जमीनी स्तर का जन नेता बताते हैं। आइये जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ ऐसे ही पहलुओं को...
पारंपरिक नेताओं से हटकर एक अलग पहचान बनाई
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंदर एक बेहतर कवि होने के साथ ही एक कुशल नेतृत्व क्षमता भी सबती थी। 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी वर्ष 1957 में जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बने थे। इस दौरान चुनाव-प्रचार में इनका खांटी अंदाज आज भी याद किया जाता है। जीप में धक्का लगाने से लेकर घोड़ी पर चढ़कर जनसभा तक पहुंचने वाले वाजपेयी जी ने लोगों के बीच पारंपरिक नेताओं से हटकर एक अलग जगह बनाई थी।
साइकल से गांव-गांव जाकर किया चुनाव प्रचार
अटल जी के सहयोगी रहे 90 वर्षीय लाटबक्श सिंह बताते हैं कि लोगों से मिलने और वोट की अपील करने का उनका अंदाज निराला था। करीब 50 साइकलों के जत्थे के साथ अटल जी गांव-गांव व घर-घर जाकर लोगों से वोट मांगते थे। यही नहीं, पूरा संसदीय क्षेत्र उनका घर था। पगडंडी व कच्चे रास्तों पर चलने वाला यह युवा जनसंघी एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा इस बात का आभास उस वक्त किसी को नहीं था।
गाड़ी में धक्का लगाकर करते थे स्टार्ट
अटल जी का बलरामपुर में राजनीतिक सफर 1957 से शुरु होकर 1971 तक चला। इस दौरान वह जीप में खुद धक्का लगाते थे।उनके सहयोगी तथा तुलसीपुर विधानसभा से जनसंघ के विधायक रहे सुखदेव प्रसाद अटल जी के साथ किए गए चुनाव प्रचार का बखान करते हुए बताते हैं कि 1957 में चुनाव प्रचार के लिए स्थानीय जनसंघियो ने उन्हे एक जीप मुहैया कराई थी। जीप की हालत जर्जर थी जो कुछ देर चलने के बाद रुक जाती थी। अटल जी खुद उम्मीदवार होने के बावजूद अपने वाहन में धक्का लगाकर स्टार्ट कराते थे। यही नहीं, अटल जी ने बैलगाड़ी से भी अपना चुनाव प्रचार किया।
घोड़ी चढ़ पहुंचे अटल
बात 1957 के लोकसभा चुनाव की है। उन्हें उतरौला तथा रेहरा बाजार में चुनावी जनसभा को संबोधित करना था। रात में मूसलाधार बारिश के कारण कच्ची सड़कों पर जलभराव हो गया। चालक ने कीचड़ में वाहन ले जाने में असमर्थता जताई। इस पर उन्होंने एक परिचित के यहां से एक घोड़ी मंगाई। घोड़ी से ही अटल जी जनसभाओं को संबोधित करने पहुंचे और बाद में जनसंपर्क भी किया।
अटल बिहारी वाजपेयी के स्वास्थ्यलाभ के लिए महाकाल मंदिर में किया जा रहा है महामृत्युंजय जाप