कानपुर में डेवलप हुआ सेना के लिए एक खास हथियार, अंधेरे में छिपे बैठे दुश्मन को भी लेगा ढूंढ़
कानपुर। यूपी के कानपुर स्नाइपर अटैकर्स को खोज निकालने के लिए डीआरडीओ की लेजर साईंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने एक मशीन का निर्माण किया है। यह मशीन 600 से 1500 मीटर तक स्नाइपर को खोज निकालती है। यह मशीन (ओटीएल 600) सेना को ट्रायल के लिए दी गई है जोकि काफी मददगार साबित हो रही है। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की सुरक्षा में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
600 मीटर की रेंज में दुश्मन को खोज लेगा
भीड़ में छुपकर किसी वीवीआईपी या वीआईपी को निशाना बनाने वाले स्नाइपर शूटर का पता लगाने के लिए डीआरडीओ ने ओटीएल नामक मशीन का ईजाद किया है। यह मशीन एक दूरबीन की तरह है जोकि 600 सौ मीटर तक एक एक-एक इंच की स्कैनिंग करता रहता है। इससे निकलने वाली किरणे जैसे ही स्नाइपर या अन्य कोई खतरनाक उपकरण से टकराती है वैसे ही मशीन से बीप की आवाज आने लगती है। मशीन की रेंज स्नाइपर पर जाकर टिक जाती है और उसे खोज निकालती है।
अंधेरे में करेगा ऐसे काम
कानपुर में डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित इस मशीन के बारे में लेजर साईंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के राजेश तिवारी ने बताया कि ओटीएल 600 आप्टिकल टारगेट को पकड़ता है। शूटर राइफल पर फोकसिंग लेंस का इस्तेमाल करते है| जहां भी कोई आप्टिक्स होता है यह मशीन उसको पकड़ लेती है और चाहे दिन हो या रात दोनों में काम करती है।1500 मीटर की रेंज वाली मशीन को ट्रायल के लिए भारतीय सेना को दिया गया है। राजेश ने बताया की अगर स्नाइपर कही छुपा हुआ है या अँधेरे में है तो यह उसको डीटेक्ट करके लाइट को ब्लिंक करने लगता है। जिससे पता चल जाता है कि स्नाइपर हमको देख रहा है जिस पर एक्शन ले लिया जाता है।
बीएसएफ व पैरामिलट्री फोर्स के दिया गया ये उपकरण
मेक इन इंडिया के तहत विकसित ये उपकरण सुरक्षा का ब्रह्मास्त्र है और इसकी काट दुनिया के किसी देश के पास नहीं है। लेजर साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा विकसित यह दुनिया का पहला लोकेटर है जो स्नाइपर को खोज निकलता है। लेजर डिपार्टमेंट के आनंद का कहना है कि जितने भी स्नाइपर अटैकर होते है वो गन पर आप्टिकल इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करते है। गन के ऊपर टेलिस्कोप या आप्टिकल इंस्ट्रूमेंट लगा रहता है जिसको यह चाहे दिन हो या रात में भी तलाश कर लेता है। इसका इस्तेमाल प्रधानमंत्री की सुरक्षा में किया जा रहा है और इसको बीएसएफ व पैरामिलट्री फोर्स को दिया जा रहा है।
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