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Video: आंखों में रोशनी नहीं फिर भी 20 साल से बुन रहे कुर्सी, जज्बे को लोग करते हैं सलाम

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फर्रूखाबाद। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों- जी हां ये दो लाइन, जन्मांध श्याम सुंदर पर सटीक बैठती हैं। श्याम सुंदर कोई बड़ी हस्ती नहीं है, लेकिन वह ऐसा काम करते हैं जिसे जानकर आपको भी गर्व होगा। सोचिए, मनुष्य की जिंदगी में आखों की रोशनी के बिना अंधेरे में जीवन बिताना कितनी बड़ी चुनौती है। अब हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बता रहे हैं जो बिना आंखों के कुर्सी बनाते हैं। दरअसल यूपी के फर्रूखाबाद में श्याम सुंदर बिना आंखों के कुर्सी बनाने की कलाकारी बहुत सालों से कर रहे हैं।

artwork of blind man who makes chair since twenty years ago in farrukhabad

श्याम ने बताया कि एक कुर्सी बनाने में उन्हें कम से कम साढ़े तीन घंटे लग जाते हैं। श्याम सुंदर की शादी 20 साल पहले हो चुकी है और उनकी पत्नी भी उनकी तरह जन्म से ही नहीं देख पाती हैं। श्याम सुंदर के दो बेटी और एक बेटा है। उन्होंने बताया कि कुर्सी बनाने का काम एक कानपुर के एक सेंटर में सीखा है। लेकिन सरकारी फॉर्म भरने के बाद उनका चयन किया गया और फिर फर्रूखाबाद में आकर करीब 20 साल से यहां कुर्सियां बना रहे हैं।

artwork of blind man who makes chair since twenty years ago in farrukhabad

श्याम सुंदर कानपुर में डबल पुलिया के रहने वाले हैं और अब सालों से फर्रूखाबाद के फतेहगड़ में रहते हैं। पैसे भी गिन लेते हैं और खाना खाने के लिए वह रोटी छोड़कर कई चीजें बना लेते हैं, जैसे- सब्जी, दाल, चावल, चाय आदि। जन्मांध होने के बावजूद उनका ये जज्बा लोगों का ध्यान खींच रहा है।

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English summary
artwork of blind man who makes chair since twenty years ago in farrukhabad
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