लोकसभा चुनाव के पहले रूठे संतों को मनाने संगम नगरी पहुंचेंगे अमित शाह
इलाहाबाद। संगम नगरी में 27 जुलाई को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आ रहे हैं। उनका यह दौरा अभी तक धार्मिक बताया जा रहा था। लेकिन, अब इस दौरे के सियासी मायने साफ हो गए हैं। दरअसल अमित शाह के इलाहाबाद आने की वजह संतों की नाराजगी है और नाराज संतों को मनाने के लिये शाह यहां अपनी गोट चलेंगे। चूंकि लंबे समय से संगम नगरी संतों का केन्द्र रही है और कुंभ मेला सर पर है। जिसमे देश के कोने-कोने से संत महात्मा जुटेंगे। ऐसे में देश के सभी 14 अखाड़ों के इलाहाबाद स्थित मुख्यालय पर भाजपा अध्यक्ष की नजर है और वह नाराज संतों को चुनाव से पहले साधने पर जुटे हुए हैं। पिछले कुछ सालों से अखाड़ा परिषद के अत्याधिक एक्टिव होने व प्रभावशाली बनने के कारण अब यह भाजपा के लिये जरूरी भी हो गया हैं कि वह दूसरे दल से पहले संत मण्डली को समय रहते अपने साथ जोड़ लें। अन्यथा उपचुनाव का जनादेश पहले ही भाजपा के लिये मुश्किल खड़ा कर रहा है और नाराज संत उस आग में घी का काम करेंगे।
वजह
है
साफ
वैसे
भी
भाजपा
धार्मिक
आधार
पर
जिस
तरह
अपना
वोट
बैंक
बनाती
व
बताती
है।
उसमे
सबसे
अधिक
महत्व
संत
मण्डली
ही
नजर
आता
है।
यह
सर्वविदित
है
कि
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
की
पूर्ण
बहुमत
की
सरकार
बनने
के
पीछे
संतों
का
अहम
योगदान
था।
लेकिन,
लंबे
समय
से
अपनी
कई
मांगों
को
वरीयता
न
देने
पर
संत
नाराज
हैं।
कई
मौके
पर
संतों
ने
अपनी
नाराजगी
भी
जाहिर
की
थी
और
यहां
तक
की
नाराज
संतों
के
प्रतिनिधि
मंडल
ने
दिल्ली
में
शाह
से
मुलाकात
भी
की
थी।
लेकिन
संतों
की
मांगे
जस
की
तस
हैं
और
अधूरी
मांगों
के
चलते
ही
संत
लोकसभा
चुनाव
की
तैयारियों
में
भाजपा
दूरी
बनाये
हुये
हैं।
मांगे
हो
सकती
हैं
पूरी
गुरु
पूर्णिमा
पर
27
जुलाई
की
शाम
भाजपा
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
अमित
शाह
प्रयाग
में
जब
पहुंचेंगे
तो
सीधे
संतों
से
आत्मीयता
जोड़ते
नजर
आएंगे।
वह
कुंभ
पर
तो
चर्चा
करेंगे
ही
और
पूजन-अर्चन
करके
साथ
में
भोजन
भी
करेंगे।
लेकिन,
यहां
गुजरने
वाले
पांच
घंटे
संतों
का
मन
टटोल
कर
उनसे
चुनाव
में
सपोर्ट
मांगेंगे।
दरअसल
इस
यात्रा
से
यह
संदेश
भी
दिया
जायेगा
कि
भाजपा
के
लिए
संत
समाज
व
हिंदुत्व
सर्वोपरि
है।
फिलहाल
अमित
शाह
इलाहाबाद
में
अखाड़ा
परिषद
व
संत
मठाधीशों
के
साथ
लंबी
बातचीत
करेंगे
और
संभव
है
कि
अखाड़ा
परिषद
की
लगभग
सभी
मांगों
को
पूरा
करने
के
लिये
अमित
शाह
ऐलान
भी
कर
दें।
जिसमे
संतों
के
लिए
हिंदुत्व
का
मुद्दा
सबसे
खास
होगा।
ये
मुद्दे
हैं
खास
संतों
के
मुद्दे
में
महाकुंभ,
श्रीराम
जन्मभूमि
विवाद,
अयोध्या
में
मंदिर
निर्माण,
गंगा
की
निर्मलता,
गोहत्या
पर
पाबंदी,
हिंदुत्व
की
रक्षा,
बढ़ती
मुस्लिम
आबादी
पर
नियंत्रण,
संतों
के
लिये
अलग
से
बजट,
अखाड़ा
से
संबंधित
स्थाई
निर्माण,
कुंभ
कार्य
में
संत
समिति,
गंगा
व
गाय,
ॠषि
भरद्वाज
मूर्ति,
इलाहाबाद
का
नाम
प्रयागराज
आदि
के
मुद्दे
शामिल
हैं।
फिलहाल
यहा
मुद्दे
पुराने
हैं
जिन्हे
मोदी
और
योगी
सरकार
प्रचंड
बहुमत
में
आने
के
बाद
कदम
बढ़ाकर
भी
पूरा
नहीं
कर
सकी
है।
यही
कारण
है
पिछले
कुछ
समय
से
कुछ
संत
भाजपा
के
खिलाफ
बोलने
लगे
हैं।
भांप
चुके
हैं
नाराजगी
ऐसा
नहीं
है
कि
अमित
शाह
संतों
की
नाराजगी
से
वाकिफ
नहीं
है
वह
नाराजगी
भांप
चुके
हैं
और
उसी
को
दूर
करने
के
लिये
वह
अखिल
भारतीय
अखाड़ा
परिषद
के
पदाधिकारियों
से
यहां
मिलने
आ
रहे
हैं।
शाह
यहां
यह
जरूर
संदेश
देंगे
कि
भाजपा
अपने
मुद्दों
पर
अडिग
है
बस
उसे
और
समय
चाहिये।
फिलहाल
रात
में
अमित
शाह
संतों
के
साथ
प्रवास
करेंगे
या
नहीं
अभी
यह
आधिकारिक
रूप
से
नहीं
बताया
जा
रहा
है।
ये भी पढे़ं- एलटी ग्रेड टीचर भर्ती: एग्जाम सेंटर हाईजैक होने की सूचना पर आयोग ने उठाया बड़ा कदम