सवालों के घेरे में यूपी बोर्ड का रिजल्ट, वायरल हो रहा है ये गोपनीय दस्तावेज़
इलाहाबाद। अपनी बदहाल व्यवस्था के चलते पिछले कुछ साल से बिहार बोर्ड की किरकिरी पूरे देश में खूब चर्चा का विषय बनती रही है। लेकिन, इस बार यूपी बोर्ड भी उसी ढर्रे पर चल पड़ा है। यूपी बोर्ड को भी अपने रिजल्ट को लेकर किरकिरी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि बोर्ड के कुछ गोपनीय दस्तावेज लीक हुए हैं और उसमे मॉडरेशन अंक प्रणाली के तहत गलत तरीके से परीक्षार्थी को पास करने का आरोप लगाया जा रहा है। यह साफ है कि बोर्ड का रिजल्ट कुछ कारणों से विवादों में घिर रहा है और उसका सबसे बड़ा कारण उसके अपने हैं, जिन्होंने बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन में अपनी भूमिका निभाई थी। सोशल मीडिया पर कुछ परीक्षार्थियों का इंटरनेट का परिणाम ओएमआर शीट के साथ अपलोड किया गया है और लोगों को बोर्ड में रिजल्ट के फर्जीवाड़े का तरीका बताकर सरकार को घेरा जा रहा है।
कौन सा गोपनीय दस्तावेज है वायरल
दरअसल बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन के दौरान विभिन्न विषयों के ब्लैंक ओएमआर शीट भरे जाते हैं। यह एक ऐसा प्रपत्र होता है जो मूल्यांकन केंद्र से बोर्ड मुख्यालय को भेजा जाता है। यह पूरी तरह सी गोपनीय और सुरक्षित होता है जिसे आम लोगों से साझा नहीं किया जा सकता। लेकिन, यूपी बोर्ड के इतिहास में पहली बार यह गोपनीय रिकॉर्ड आम लोगों के बीच पहुंच गए हैं। सोशल मीडिया पर ओएमआर शीट पोस्ट की जा रही है और यह तेजी के साथ वायरल हो चुका है। इससे रिजल्ट में भारी गड़बड़ी के आरोप सामने आ रहे हैं और जांच की मांग की जा रही है।
उठा रहे सवाल
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बोर्ड की गोपनीय ओएमआर शीट से मूल्यांकन के नंबर और रिजल्ट पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिन्हें दो नंबर मिला था उन्हें 23 नंबर देकर पास कर दिया गया है। सबसे आश्चर्यजनक है कि यह किसी एक शहर का हाल नहीं है बल्कि पूरे यूपी में इसी तरह की वायरल पोस्ट ने हड़कंप मचा दिया है। इस वायरल पोस्ट को बल इसलिए मिलता दिख रहा है क्योंकि हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा मैं जिस तरह से इस बार नकल विहीन परीक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए थे। उससे बोर्ड का रिजल्ट बेहद ही कम आने का अनुमान था । लेकिन, जब बोर्ड ने रिजल्ट जारी किया तो अपेक्षाकृत बहुत ही अच्छा रिजल्ट घोषित हुआ है। उसके बाद से ही अचानक सोशल मीडिया पर ओएमआर शीट आ गई और रिजल्ट पर सवाल उठ रहे हैं।
प्रतिबंध के बाद भी सार्वजनिक हुआ रिकार्ड
यूपी बोर्ड के मूल्यांकन केंद्रों पर मोबाइल का अंदर ले जाना प्रतिबंधित था। यानी मूल्यांकन के दौरान ओएमआर शीट का बाहर आना नामुमकिन था। अगर ऐसा हुआ है तो यह पूरी तरह से एक साजिश के तहत हुआ है। बोर्ड सूत्र बताते हैं कि मूल्यांकन के दौरान ओएमआर शीट को बाहर ले आना एक पूरी प्लानिंग के तहत किया गया होगा और अब उसे वायरल कर रिजल्ट पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि जो ओएमआर शीट वायरल हो रही हैं उसकी प्रमाणिकता अभी जांची नहीं गई है। लेकिन अगर वायरल के हिसाब से देखा जाए तो मूल्यांकन करता द्वारा दिए गए नंबर और रिजल्ट में काफी फर्क नजर आ रहा है।
क्या कह रहा बोर्ड
इस मामले में बोर्ड ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि जो नंबर बच्चों को मिले हैं उसमें मॉडरेशन अंक प्रणाली का उपयोग हुआ है। यह हमेशा से इस्तेमाल होता रहा है। अगर गोपनीय रिकॉर्ड सार्वजनिक हुए हैं तो उसकी जांच कराई जाएगी और ऐसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। रिजल्ट पूरी तरह से निष्पक्ष और नियम अनुसार हैं। उसमें किसी तरह की कोई कमी नहीं है ।यह केवल बोर्ड को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।
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