इलाहाबाद का नाम फिर से होगा प्रयागराज ,योगी सरकार करने वाली है घोषणा
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग को आखिरकार योगी सरकार ने हरी झंडी दे दी है। सीधे शब्दों में कहें तो यह कि योगी सरकार ने इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से औपचारिक मंजूरी दे दी है और जल्द ही इसका आधिकारिक शासनादेश भी जारी हो जाएगा। 2019 में लगने वाले कुंभ से पहले प्रयागराज नाम पूरी तरह अस्तित्व में होगा और हर सरकारी कामकाज में प्रयागराज ही इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार लगातार इसकी दिशा में आगे भी बढ़ रही है और कुंभ के हर आयोजन को प्रयागराज के नाम से ही जोड़कर ब्रांडिंग कर रही है। यहां तक कि कुंभ मेला के आधिकारिक लोगो में भी सिर्फ प्रयागराज का जिक्र है। इस बाबत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि इलाहाबाद का नाम उसके पुराने नाम प्रयागराज से ही जाना जाएगा और जल्द ही इस नाम की घोषणा शासन स्तर पर की जाएगी।
पूर्व डीएम ने भेजा था प्रस्ताव
इलाहाबाद का नाम फिर से प्रयागराज होगा, इस आशय से मिले कयी ज्ञापन व मांग के बाद तत्कालीन डीएम इलाहाबाद संजय कुमार ने शासन को नाम बदलने का प्रस्ताव अपनी संस्तुति के साथ मंजूरी के लिये भेजा दिया था। उसी प्रस्ताव को अब मंजूरी मिल गई है लेकिन अभी इसका शासनादेश जारी होना बाकी है। बता दें कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने सरकार बनने के बाद शुरूआती दिनो में जब सीएम योगी से लखनऊ में मुलाकात की थी तभी घोषणा कर दी थी कि सीएम ने नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। लेकिन, पिछले दिनो इलाहाबाद आये सीएम योगी को जब अखाड़ा परिषद ने उनका पुराना वादा याद दिलाया तो सीएम आधिकारिक घोषणा करने का आश्वासन दिया था।
मुगल शासक अकबर ने किया था नामकरण
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार 16 वीं सदी के पूर्व इलाहाबाद को प्रयाग व प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन 1526 में यह पौराणिक भूमि मुगलों के अधीन हो गई । तब मुगल शासक अकबर ने इस ऐतिहासिक नगरी का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया। अंग्रेजी में आज भी इसे अल्लाहाबाद ही कहा जाता है, लेकिन बोलचाल की भाषा में इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा और यही नाम अब सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।
पुराणों में नाम प्रयाग
प्रयाग का नाम पुराणों में भी दर्ज है। पुराणों व हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार इस भूमि पर ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। यानी प्र से प्रथम और याग से यज्ञ शब्द मिलकर इस पावन भूमि का नाम प्रयाग पड़ा। इसे समस्त तीर्थों का राजा तीर्थराज, संगम, त्रिवेणी जैसे उपनामों से भी ख्याति प्राप्त है।
लगातार मिल रहे थे संकेत
इलाहाबाद का नाम बदलने का प्रयास तो बहुत दिनों से चल रहा है। लेकिन पिछले साल जब संघ प्रमुख मोहन भागवत संगम नगरी आये तो उन्होंने एक बार भी इलाहाबाद नाम का जिक्र नहीं किया और हर बार प्रयाग का ही उद्बोधन करते रहे। जबकि सीएम योगी इलाहाबाद आये तो उन्होंने भी हर बार उन्होंने प्रयाग नाम से ही शहर को संबोधित किया। इसी बीच अर्धकुंभ की तैयारियों को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बैठक हुई। तो इस बैठक में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने की मांग का एक सुझावों का प्रस्ताव अफसरों को सौंपा । जिसे मंजूरी के लिये डीएम ने शासन को भेजा था। फिलहाल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इलाज का नाम प्रयागराज करने वाले आधिकारिक शासनादेश को जल्द जारी करने की बात कही है।
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