UP: थानेदारों के ट्रांसफर को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अब मिलेगी राहत
इलाहाबाद। यूपी में अब थानेदारों की थानेदारी बिना किसी कारण के नहीं छिनेगी। पोस्टिंग के बाद कम-से-कम दो साल तक अधिकारी थानेदार रह सकेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बाबत एक बड़ा फैसला सुनाया है और कहा है कि किसी भी थानेदार का 2 वर्ष से पहले उसका तबादला नहीं किया जाए। यानी थानेदार का कार्यकाल कम से कम 2 वर्ष का हो। दरअसल बिजनौर के हलदौर थाना प्रभारी शिव कुमार गौर ने 1 साल बाद ही अपना तबादला किए जाने पर हाईकोर्ट की शरण ली और अपने तबादले के आदेश को चुनौती दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए शिव कुमार गौर के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है।
क्या
कहा
हाईकोर्ट
ने
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
हलदौर
थाना
प्रभारी
की
याचिका
पर
जस्टिस
अश्वनी
कुमार
मिश्र
ने
सुनवाई
शुरू
की
तो
हलदौर
थानेदार
की
ओर
से
पोस्टिंग
की
तिथि
व
तबादले
के
आदेश
आदि
के
अभिलेख
कोर्ट
में
उपलब्ध
कराए
गए
और
दलील
दी
गई
कि
डीजीपी
हेड
क्वार्टर
ने
प्रशासनिक
आधार
पर
उनका
ट्रांसफर
किया
है।
हाईकोर्ट
ने
दलील,
साक्ष्य
व
नियमों
के
अवलोकन
के
बाद
कहा
है
कि
किसी
भी
थानाध्यक्ष
को
2
वर्ष
से
कम
के
कार्यकाल
पर
नहीं
हटाया
जा
सकता,
यदि
उसके
खिलाफ
भ्रष्टाचार
की
शिकायत,
लंबित
विभागीय
कार्रवाई
या
थानाध्यक्ष
के
कर्तव्य
निर्वहन
में
अक्षमता
ना
हो।
हाईकोर्ट
ने
साफ
लहजे
में
कहा
कि
बेवजह
और
सिर्फ
प्रशासनिक
आधार
पर
किसी
थानेदार
का
तबादला
2
साल
के
अंदर
ही
कर
दिया
जाना
ठीक
नहीं
है।
क्या
है
मामला
यूपी
के
बिजनौर
में
हलदौर
थाना
प्रभारी
के
तौर
पर
शिव
कुमार
गौर
की
पोस्टिंग
11
सितंबर
2017
को
हुई
थी।
वह
हल्दौर
थाने
के
प्रभारी
बनाए
गए
थे,
लेकिन
पिछले
11
मार्च
2018
को
डीजीपी
हेड
क्वार्टर
से
उनके
ट्रांसफर
का
आदेश
जारी
हो
गया
और
गौर
का
ट्रांसफर
इलाहाबाद
मंडल
के
लिए
कर
दिया
गया।
शिव
कुमार
गौर
ने
इस
बाबत
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
डीजीपी
हेड
क्वार्टर
के
आदेश
को
चुनौती
दी
और
सुप्रीम
कोर्ट
के
प्रकाश
सिंह
केस
का
उदाहरण
देते
हुए
दलील
दी
कि
थानाध्यक्ष
को
2
वर्ष
से
कम
के
कार्यकाल
पर
नहीं
हटाया
जा
सकता।
स्थानांतरण
पर
रोक
मामले
की
सुनवाई
हाईकोर्ट
में
शुरू
हुई
तो
हाईकोर्ट
ने
27
मार्च
को
पुलिस
मुख्यालय
से
स्थानांतरण
संबंधित
सभी
दस्तावेज
मंगवाए।
दस्तावेजों
के
अवलोकन
के
बाद
पता
चला
कि
शिव
कुमार
गौर
के
स्थानांतरण
में
कोई
शिकायत
या
कार्रवाई
आदि
का
मामला
नहीं
नहीं
है।
उनके
खिलाफ
भ्रष्टाचार
की
न
तो
शिकायत
है
और
ना
ही
विभागीय
कार्रवाई
या
कर्तव्य
निर्वहन
का
मामला
अंकित
किया
गया
है।
ऐसे
में
हाईकोर्ट
ने
माना
कि
सिर्फ
प्रशासनिक
आधार
पर
ही
2
साल
के
अंदर
शिव
कुमार
गौर
का
तबादला
किया
जाना
ठीक
नहीं
है।
फिलहाल
हाईकोर्ट
ने
शिव
कुमार
गौड़
के
स्थानांतरण
पर
रोक
लगा
दी
है
और
अब
भविष्य
में
इस
आदेश
के
आधार
का
लाभ
थानेदारों
को
मिल
सकेगा।
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