उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

हाईकोर्ट ने कहा 'YES', जाओ इलाहाबाद में चला लो अब हुक्काबार

जिला प्रशासन हाईकोर्ट को इतना भी नहीं बता पाया कि शहर में हुक्काबार क्यों बंद कराए गए। आखिर इससे क्या नुकसान हो रहा था। समाज पर क्या गलत प्रभाव पड़ रहा था।

By Gaurav Dwivedi
Google Oneindia News

इलाहाबाद। संगम नगरी में कुछ दिनों पहले तक हुक्काबार के खिलाफ जंग छिड़ी हुई थी। सामाजिक संगठन हुक्का बार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी कर हुक्का बार में मिल रहे लोगों को दबोच रही थी। प्रशासन हुक्का बार बंद करा रहा था। मीडिया में खूब सुर्खियां बनी। बड़ी बड़ी खबरे छपीं। मीडिया के सामने कार्रवाई की खूब फुटेज चली। लेकिन जब हाईकोर्ट ने हुक्काबार बंद करने के लिए जिला प्रशासन से जवाब मांगा तो प्रशासन चुप्पी साध गया। जिला प्रशासन हाईकोर्ट को इतना भी नहीं बता पाया कि शहर में हुक्काबार क्यों बंद कराए गए। आखिर इससे क्या नुकसान हो रहा था। समाज पर क्या गलत प्रभाव पड़ रहा था। जिला प्रशासन से इस बाबत कई बार जवाब मांगा गया। लेकिन हाईकोर्ट को कोई जवाब नहीं दिया गया। इससे नाराज हाईकोर्ट ने इलाहाबाद जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया है कि बिना किसी बाधा के हुक्काबार चलाने दिया जाए। ये आदेश हुक्का बार पर रोक के खिलाफ सिविल लाइंस स्थित हुक्काबार संचालक वसीम अहमद की याचिका पर आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को नोटिस भी जारी कर दिया है। कारण बताओ नोटिस मे पूछा गया है कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर क्यों ना उन पर हर्जाना लगाया जाए।

ये है हुक्का का मामला

ये है हुक्का का मामला

इलाहाबाद में बीते दिनों पुलिस प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए दर्जनों हुक्काबार बंद करा दिए थे। तत्कालीन समय में पुलिस के मुताबिक इन हुक्का बार में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के पहुंचने पर शिकायत के बाद कार्रवाई का दौर शुरू हुआ था। हुक्काबार बंद कराने पर सिविल लाइंस स्थित हुक्काबार के संचालक वसीम अहमद ने याचिका दाखिल की और प्रशासन की कार्रवाई को चैलेंज किया। कोर्ट के सामने दलील दी गई कि बिना किसी लिखित आदेश के जिला प्रशासन ने हुक्का बार चलाने पर रोक लगा दी है।

डबल बेंच में सुनवाई

डबल बेंच में सुनवाई

इस याचिका पर न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल और न्यायमूर्ति अजय भनोट की डबल बेंच ने सुनवाई शुरू की तो डीएम से 4 सितंबर 2017 को जवाब मांगा गया। लेकिन डीएम की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने 21 सितंबर को फिर से डीएम से जवाब मांगा और समय सीमा तय करते हुए जवाब ना दाखिल होने पर डीएम को हाजिर होने का आदेश दिया। लेकिन इस बार भी जवाब नहीं आया। 3 अक्टूबर को समय सीमा खत्म हुई लेकिन ना डीएम आए ना उनका जवाब आया। सोमवार को इस मामले में फिर सुनवाई हुई तो सरकार की ओर से जवाब देने के लिए और समय मांगा गया। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया और इलाहाबाद में हुक्काबार चलाने की अनुमति दे दी।

कोर्ट ने कहा ठीक है

कोर्ट ने कहा ठीक है

कोर्ट ने डीएम को नोटिस भी जारी कर दिया है और अब कोर्ट के रुख को देखते हुए 25 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर हर्जाना ठोके जाने की भी स्थिति बन चुकी है। वहीं इस मामले में कोर्ट के इस फैसले के बाद सामाजिक संगठनों का आरोप है कि जिला प्रशासन अप्रत्यक्ष तौर पर हुक्का बार की मदद कर रहा है।

<strong>Read more: राहुल गांधी को घर में आज घेरेंगे शाह, स्मृति ने पहले ही छेड़ दी है अमेठी में 'विकास' की बात</strong>Read more: राहुल गांधी को घर में आज घेरेंगे शाह, स्मृति ने पहले ही छेड़ दी है अमेठी में 'विकास' की बात

Comments
English summary
Allahabad High Court said Yes for Hookah Bars
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X