Gorakhpur deaths: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन सप्लायर की याचिका खारिज की
इलाहाबाद। गोरखपुर में बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली फर्म के मालिक के जमानत याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि गोरखपुर में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से पिछले साल 60 बच्चों की मृत्यु हुई थी। इसका जिम्मेदार ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने वाली फर्म को ठहराया गया था।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मंगलवार को पुष्पा सेल्स के मालिक की जमानत याचिका खारिज कर दी। आपको बता दें कि जिस समय यह हादसा हुआ था उस समय अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई यही फर्म कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि, मनीष भंडारी मामले में वंछित है। हिरासत में उससे पूछताछ की जा रही है। ऐसे में अभियुक्त को जमानत नहीं दी जा सकती है। यूपी सरकार के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मामले की जांच लंबित है।
आपको बता दें कि बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में डीएम की ओर से दी गई रिपोर्ट में ऑक्सिजन सप्लायर को जिम्मेदार ठहराया गया था। डीएम की रिपोर्ट में आरोप पुष्पा सेल्स पर तय किए थे। रिपोर्ट में लिखा गया था कि कंपनी को ऑक्सिजन सप्लाइ नहीं रोकनी चाहिए थी। 'इस बात को ध्यान में रखते हुए कि यह सप्लाइ जीवन रक्षक है, उसे ऐसा नहीं कर चाहिए था।'
रिपोर्ट में डीएम ने लिखा कि, डॉ कुमार के अलावा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल ने जानबूझकर ऑक्सीजन सिलिंडरों की खरीद का रेकॉर्ड नहीं रखा। यह भी कहा गया है कि डॉ सतीश कुमार ने न तो कभी लॉग बुक चेक किया और न ही इस पर हस्ताक्षर किए। 'बीआरडी अस्पताल के ऑक्सिजन सिलिंडर के स्टॉक बुक में कई जगह ओवरराइटिंग है। यहां तक कि जिस लॉग बुक को डॉ सतीश द्वारा मेंटेन रखना था, उस पर न ही हस्ताक्षर हैं और न ही अंगूठे के निशान।'