नेट परीक्षा 2018 का एक प्रश्न रद्द, सबको समान अंक देने का HC ने दिया निर्देश
इलाहाबाद। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नेट परीक्षा 2018 में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है। अगर वह एक नंबर की वजह से पास होने से वंचित रह गए हैं तो उन्हें हाईकोर्ट ने उनके पास होने का रास्ता खोल दिया है। हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों की याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है और एक प्रश्न रद्द करते हुए सभी को समान अंक दिए जाने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (नेट) 2018 के शिक्षाशास्त्र विषय के प्रश्न संख्या 30 को लेकर अभ्यार्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और इस प्रश्न को रद्द कर समान अंक दिए जाने की मांग की थी । जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया है और प्रश्न संख्या 30 को डिलीट कर सभी सफल अभ्यर्थियों को इस प्रश्न के एवज में समान अंक देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया को 3 सप्ताह के अंदर पूरा कर लिया जाए और उसके बाद संशोधित परिणाम जारी किया जाए।
बड़ी
संख्या
में
अभ्यर्थियों
को
मिलेगा
लाभ
विश्वविद्यालय
अनुदान
आयोग
की
नेट
परीक्षा
2018
का
संशोधित
परिणाम
जारी
होगा
और
प्वाइंट
के
कुछ
अंक
अथवा
एक
अंक
की
वजह
की
कमी
से
निर्धारित
कट
ऑफ
में
ना
आने
वाले
अभ्यर्थियों
को
इसका
सीधे
तौर
पर
लाभ
मिलेगा।
वह
अब
हाईकोर्ट
के
आदेश
आदेशानुसार
1
अंक
का
लाभ
पा
सकेंगे
और
उन्हें
मेरिट
लिस्ट
में
आने
का
मौका
मिल
जाएगा।
क्या
था
मामला
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
माधवेश
कुमार
तिवारी
की
याचिका
पर
न्यायमूर्ति
संगीता
चंद्रा
ने
सुनवाई
की।
सुनवाई
के
दौरान
कोर्ट
को
बताया
गया
कि
याची
को
नेट
परीक्षा
में
50.67
अंक
प्राप्त
हुए
थे।
प्रश्न
पत्र
में
प्रश्न
संख्या
30
के
सापेक्ष
उसे
अंक
नहीं
दिया
गया।
जबकि
प्रश्न
के
सापेक्ष
उसने
'सी'
विकल्प
भरा
था,
और
वह
सही
भी
था
।
लेकिन,
आयोग
की
ओर
से
जारी
आंसर-की
में
विकल्प
'ए'
को
सही
बताया
गया
है।
एक
अंक
उसे
ना
मिलने
से
वह
निर्धारित
कट
ऑफ
मेरिट
51.33
अंक
में
नहीं
शामिल
हो
सका
और
1
अंक
से
उसे
बाहर
कर
दिया
गया।
याची
ने
आयोग
की
आंसर
की
को
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
चैलेंज
किया
था।
हाईकोर्ट
ने
इस
मामले
पर
विशेषज्ञ
समिति
की
रिपोर्ट
देखी
तो
पता
चला
इस
प्रश्न
के
दो
विकल्पों
सही
थे।
जिस
पर
हाईकोर्ट
ने
याची
के
पक्ष
में
प्रश्न
को
रद्द
करते
हुए
सभी
असफल
अभ्यर्थियों
को
इस
प्रश्न
के
एवज
में
एक-एक
अंक
दिए
जाने
का
निर्देश
दिया
है।
हाईकोर्ट
ने
आयोग
को
ऐसी
गलतियां
ना
करने
की
भी
सलाह
दी
है।
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