इलाहाबाद: खाली कुर्सियां कुछ कहती हैं साहब, बगावत से यहां भाजपा का उल्टा न पड़े दांव
भाजपा व अपना दल के गठबंधन के बाद पार्टी ने एक कार्यकर्ता सम्मेलन किया। ये सम्मेलन अपना दल के प्रत्याशी घोषित होकर चुनाव मैदान में उतरें पूर्व मंत्री विक्रमाजीत मौर्य के समर्थन में बुलाया गया।
इलाहाबाद। अति-आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय जनता पार्टी की टिकट वितरण नीति में इलाहाबाद से दलबदलुओं को टिकट देने का दांव सही होगा या उल्टा यह तो वक्त बतायेगा। लेकिन इलाहाबाद के फाफामऊ विधानसभा मंगलवार को बुलाई गई कार्यकर्ता संम्मेलन में खाली पड़ी कुर्सियां कुछ और ही कहानी कह रही है। भाजपा व अपना दल के गठबंधन के बाद पार्टी ने एक कार्यकर्ता सम्मेलन किया। ये सम्मेलन अपना दल के प्रत्याशी घोषित होकर चुनाव मैदान में उतरें पूर्व मंत्री विक्रमाजीत मौर्य के समर्थन में बुलाया गया। कार्यकर्ता सम्मेलन में सुबह से ही वे देखने को मिला, जिसकी अभी तक दबे जुबान से बात की जा रही थी। दरअसल, टिकट बंटवारे के बाद प्रदर्शन, नारेबाजी व पुतला दहन के बाद भी पार्टी में जो शांति बताई जा रही थी साफ तौर पर इस सम्मेलन में देखने को मिली। कार्यकर्ताओं ने उत्साह न दिखाते हुए सम्मेलन में न आना ठीक समझा। सुबह 10 बजे शुरू हुये इस सम्मेलन के समापन होने तक आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली पड़ी रही। ये भी पढे़ं: वाराणसी: भाजपा नेता ही कर रहे हैं सोशल मीडिया पर पार्टी कैंडिडेट्स की छीछालेदर
मालूम हो कि फाफामऊ विधानसभा इलाहाबाद की ऐसी सीट है जहां से भाजपा और अपना दल के अलग-अलग 19 प्रबल दावेदार थे। जो न सिर्फ चुनाव प्रचार कर रहे थे। बल्कि बड़े-बड़े नेताओं से अपनी पहुंच साधकर टिकट के जुगाड़ में लगे हुये थे। यहां तक कि टीवी सीरियल सीआईडी के पात्र अभय भी अमित शाह के सहारे महीनों से मैदान में डटे हुये थे। जबकि अनिल केसरवानी, सुधीर मौर्य, प्रवीण, कन्हैयालाल, रामानुज, शिवप्रसाद, प्रशांत, प्रेम मिश्र समेत 19 प्रत्याशियों के बीच बड़ी ही खामोशी से विक्रमाजीत ने टिकट हासिल कर लिया।
टिकट की घोषणा में जब किसी दावेदार को टिकट नहीं मिला और पार्टी ने विक्रमाजीत पर भरोसा जताया तो स्थानीय दावेदारों ने इसका खुल्लमखुल्ला विरोध कर दिया। हालांकि जिला संगठन व उपर से आये आदेशों से लगा कि बगावत को दफन कर दिया जायेगा। लेकिन जब विक्रमाजीत के लिये कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाया गया तो कार्यक्रम में चंद कार्यकर्ता ही पहुंचे। जिसे देखकर सियासी खेमें में सवाल उठने लगे कि यह बगावत पूर्व मंत्री विक्रमाजीत को ले न डूबे।
फिलहाल इस सीट पर भाजपा के लिये पहले अपनो से लड़ना होगा। क्योंकि मैदान में प्रतिद्वंदी के रूप बसपा प्रत्याशी मनोज पाण्डेय मौजूद हैं। जबकि सपा विधायक अंसार अहमद कड़ी टक्कर देंगे। ऐसे में भाजपा को अपने बागियों को मनाना होगा। ये भी पढ़ें: उत्तराखंड चुनाव: बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों के खिलाफ एक जैसी 'मुसीबत'