यूपी के 3500 से ज्यादा महाविद्यालयों को मिलेंगे नये प्राचार्य, योगी सरकार ने दी मंजूरी
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के 3500 से अधिक स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को जल्द ही नए प्राचार्य मिलने वाले हैं। इसके लिए योगी सरकार ने प्राचार्य नियमावली में बदलाव किया है और योग्यता में ढील देते हुए संशोधित नियमावली को मंजूरी दी है। स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में प्राचार्यों की नियुक्ति के लिये अब किसी संस्थान में प्राचार्य या सह-प्राचार्य होना अनिवार्य नहीं होगा। इस पद के लिये वह अभ्यार्थी योग्य होंगे जिनका रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुका है। फिलहाल नियमावली में बदलाव के बाद अब प्रदेश के 3500 से अधिक स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में खाली चल रहे प्राचार्य के पद भरे जा सकेंगे। जानकारी देते हुये सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि पीएचडी उपाधि के साथ जिनके शोध पत्र प्रकाशित हो और उच्च शिक्षण संस्था में 15 वर्षों के अध्यापन का अनुभव हो, वह महाविद्यालयों के प्राचार्य पद हेतु योग्य माने जायेंगे और वह इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
कैबिनेट
ने
दी
है
मंजूरी
उत्तर
प्रदेश
में
6500
के
लगभग
महाविद्यालय
हैं,
जिनमें
3500
से
ज्यादा
महाविद्यालय
में
प्राचार्य
के
पद
रिक्त
चल
रहे
हैं।
इन्हें
भरने
के
लिये
निर्धारित
योग्यता
में
किसी
संस्थान
में
प्राचार्य
या
सह-प्राचार्य
होना
अनिवार्य
होता
था।
लेकिन,
यह
मानक
पूरा
करने
वाले
अभ्यार्थियो
की
उपलब्धता
ही
नहीं
थी।
जिसके
कारण
लंबे
से
स्ववित्त
पोषित
अशासकीय
महाविद्यालयों
में
प्राचार्यों
के
पद
खाली
पड़े
हुए
हैं।
इसलिये
नियमावली
में
संशोधन
को
कैबिनेट
ने
अपनी
मंजूरी
दी
है।
हो
रही
थी
मांग
प्राचार्य
की
उपलब्धता
न
होने
के
कारण
इलाहाबाद
राज्य
विश्वविद्यालय
के
अस्तित्व
में
आने
के
बाद
ऐसे
स्ववित्त
पोषित
महाविद्यालयों
की
सम्बद्धता
को
खत्म
करने
की
नोटिस
जारी
की
गई
थी,
जिन
महाविद्यालय
में
लंबे
समय
से
प्राचार्य
नियुक्त
नहीं
थे।
जिस
पर
पिछले
कुछ
महीनो
से
स्ववित्त
पोषित
अशासकीय
महाविद्यालय
प्रबंध
समिति
संघ
ने
इसके
लिये
व्यापक
तौर
पर
प्रदर्शन
कर
पदो
को
भरने
के
लिये
सरकार
पर
दबाव
बनाया
था।
जिसके
बाद
उप
मुख्यमंत्री
दिनेश
शर्मा
ने
इस
पर
रिपोर्ट
तैयार
करायी
और
योग्यता
संबंधी
बदलाव
का
प्रस्ताव
कैबिनेट
में
रखा
था।
जिसे
मंजूरी
देते
हुये
सरकार
ने
किसी
संस्थान
में
प्राचार्य
या
सह-प्राचार्य
की
अनिवार्यता
को
खत्म
कर
दिया
है।
जिससे
अब
इन
महाविद्यालयों
में
प्राचार्य
के
पद
भरे
जाने
का
रास्ता
साफ
हो
गया
है
।
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