ट्रेनिंग पर बेंगलूरु से आए थे एयरफोर्स के 8 एयरक्राफ्ट मैन, वापस लौटे सिर्फ 6
इलाहाबाद। इलाहाबाद में अरैल घाट पर यमुना में डूबे 4 जवानों में से दो जवानों के बचाये जाने के बाद लापता चौथे जवान का शव बरामद कर लिया गया है। घटना स्थल से आधा किलोमीटर दूर जवान का शव मिला है। इस घटना में एयरफोर्स के दो जवानों की मौत हो गई है। बता दें कि बेंगलुरु में एयरक्राफ्ट मैन के रूप में एयरफोर्स ज्वॉइन करने वाले 8 जवानों को ट्रेनिंग के लिए इलाहाबाद के बमरौली बेसिक फ्लाइंग ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया था। यहां उन्हें सेना के वायुयान को उड़ाने की ट्रेनिंग दी जानी थी। सभी 8 एयरक्राफ्ट मैन आपस में अच्छे मित्र बन चुके थे और एक यूनिट के रूप में काम भी कर रहे थे, लेकिन किसी को क्या पता था कि इलाहाबाद में उनके दो साथियों का अंतिम सफर साबित होगा।
क्या हुआ था
रविवार को बेसिक फ्लाइंग ट्रेनिंग सेंटर बमरौली के 8 एयरक्राफ्ट मैन सत्यम आर्य, मयंक अग्निहोत्री, आयुष मिश्रा, शुभम कुमार, शुभम राणा, रजनीश कुमार, राजेंद्र कुमार और हिमांशु गुप्ता हास्टल से छुट्टी लेकर संगम स्नान के लिए गए हुए थे । संगम में स्नान करने के लिए पहले 4 जवान उतरे और तैरते हुए अरैल घाट तक पहुंच गए। अरैल घाट पर पानी गहरा था और एक जवान पानी की भंवर में फंसकर डूबने लगा, जिसे बचाने के लिए साथी जवान भी गहरे पानी में उतर गए।
दो की लाश आई बाहर
तेज बहाव के चलते वह लहरों में बहने लगे, जब मदद की आवाज सुनकर आसपास मौजूद गोताखोरों ने छलांग लगाई तो जल पुलिस और गोताखोरों की मदद से आयुष और शुभम को उसी वक्त बचा लिया गया, लेकिन सत्यम और मयंक का पता नहीं चला। बाद में सत्यम आर्या का शव बरामद कर लिया गया था, लेकिन मयंक अग्निहोत्री का लापता रहे। सोमवार की देर शाम अरैल घाट से लगभग आधा किलोमीटर दूर मयंक अग्निहोत्री का शव खोज लिया गया और उसे बाहर निकाला गया। दोनों जवानों का पोस्टमार्टम करते हुए उन्हें पूरे सैनिक सम्मान के साथ आखिरी सलामी दी गई और पार्थिव देह परिजनों को सौंप दी गई।
यूपी के रहने वाले थे दोनों जवान
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले अरैवा कटरा बेल्झाली गांव निवासी सत्यम अपने परिवार का पहला वायु सेना जवान था। पिछले साल अगस्त में आखरी बार सत्यम घर गया था और भाई बहनों की आगे की तैयारियों की राह दिखा कर फिर से ट्रेनिंग कर रहा था। रविवार को ही उसने घर पर बात की थी और अपने भाई को इलाहाबाद आने के लिए कहा था, लेकिन परीक्षा होने के कारण भाई इलाहाबाद नहीं आ सका और अब जब परिजन इलाहाबाद आए तो सत्यम इस दुनिया में नहीं था। वही, मयंक कानपुर के पनकी का रहने वाला था और 2016 में उसकी नौकरी लगी थी। यह उसकी आखिरी ट्रेनिंग थी फिर उसकी पोस्टिंग बड़ौदा में होने वाली थी। परिजनों ने बताया कि मयंक 6 मई को घर आने वाला था।
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