सैफई में होली के दौरान अखिलेश-शिवपाल का मनमुटाव आया सामने, प्रशंसकों ने तोड़ी कुर्सियां
सैफई/इटावा। सैफई में होली मनाने पहुंचे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा शिवपाल सिंह के आते ही जैसे ही पैर छूकर आशीर्वाद लिया तो भीड़ नारेबाजी करने लगी। सोचा अब पारिवारिक कलह दूर हो जाएगी लेकिन मंच पर दोनों भले ही साथ बैठे हो लेकिन बात नहीं की। दोनों के बीच की तल्खी एक बार फिर सबके सामने आ गई। मंच से जहां चाचा शिवपाल ने भतीजे अखिलेश को नसीहत दी तो अखिलेश ने भी पलटवार कर दिया।
शिवपाल ने अखिलेश पर साधा निशाना
सैफई में होली कार्यक्रम के दौरान अखिलेश और शिवपाल के बीच का मनमुटाव सबके सामने आ गया। बेशक होली के मौके पर अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के पैर छूकर के आशीर्वाद लिया हो लेकिन शिवपाल सिंह यादव के संबोधन में अखिलेश यादव ही निशाने पर दिखे। अखिलेश यादव का नाम लिए बिना शिवपाल ने कहा कि 'जहां पर एकता होती है वहां पर होली जैसे पर्व और खुशी से मनाया जाता है । वैसे तो आप लोग जानते हैं बहुत से लोग गांव-गांव में जानबूझकर गुटबंदी कराते हैं, और ऐसे लोगों से तो बहुत सावधान रहना है।' उन्होंने कहा कि, 'अगर जहां कहीं भी थोड़ा सा मनमुटाव आता है, छोटे-छोटे झगड़े होते हैं तो उनको आपस में बैठ करके निपटा लेना चाहिए और हम जानते हैं कि बहुत छोटी-छोटी बातें बड़े-बड़े झगड़े करा देती है। जब झगड़े हो जाते हैं पार्टी बंदी हो जाती है तो बहुत कुछ नुकसान उठाना पड़ता है। शिवपाल ने कहा कि, 'बाद में तो पंचायतें ही होती हैं, तो इसलिए पहले ही पंचायत कर लो। जिस गांव में पार्टी बंदी नहीं होती है, पूरा गांव एक होता है। उसमें चाहे होली-दीपावली-ईद या फिर कोई अन्य पर्व हो उसका आनंद कुछ और ही होता है।
अखिलेश ने भी चाचा पर किया पलटवार
अखिलेश यादव ने भी शिवपाल सिंह यादव और उनके समर्थकों को जमकर खरी-खोटी सुनाई। बेशक अखिलेश यादव ने इसके लिए शिवपाल समर्थकों की ओर से लगाये जा रहे नारों को जिम्मेदार ठहराया हो। अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह के साथ आए उनके समर्थकों की ओर से लगाए जा रहे नारों को लेकर नाराजगी का इजहार करते हुए साफ शब्दों में कहा कि, 'जिस तरह के नारे लगाये जा रहे हैं उस तरह नारों को लगाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि यह होली का पर्व है इसलिए नारों का कोई तुक नहीं बनता है। शिवपाल सिंह यादव का नाम लिए बिना ही उन्होंने कहा कि, 'कुछ लोग कभी सुधर नहीं सकते। अगर कुछ लोग सुधर जाएं तो अच्छा रहेगा। अभी भी कुछ लोग सुधरे नहीं हैं। वो लोग अगर सुधरना नहीं चाहते तो, वो यहां से जा सकते हैं। अगर यही हाल रहेगा तो 36 से ओर भी कम पर जा पहुंचेंगे।' अखिलेश यादव ने कहा कि आगे क्या रास्ता है, और आगे का रास्ता नहीं देखोगे तो अभी से खाई से निकल कर आए हो, अंधेरे से निकल कर आए हो यह मत समझना। अभी उजाला यहीं पर है, तो अंधेरा कहीं नहीं होगा। इसलिए बहुत समझदार बनिए। होली का पर्व खुशी से मनाने का है, लेकिन नारे लगाने का नहीं है। इतनी तो पहचान राजनीति में थोड़ी-बहुत हम भी रखते हैं।
होली के हुड़दंग में बेकाबू हुई जनता, टूटी कुर्सियां
उत्तर प्रदेश के सैफई में आयोजित होली कार्यक्रम में पूरे प्रदेश के हर जिले से इस साल बड़ी संख्या में आवागमन हुआ। होली के कार्यक्रम में हजारों की संख्या में प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते हैं और होली खेलते हैं। पुलिस विभाग ने होली के विशाल कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया। कार्यक्रम में किसी भी पुलिस के राजपत्रित अधिकारी की नियुक्ति तक नहीं की गई। शायद इसी वजह से कार्यक्रम में अफरा-तफरी का माहौल रहा। सैफई थाने के प्रभारी निरीक्षक महेश वीर सिंह उप निरीक्षक वासुदेव सिंह व चंद सिपाही भीड़ को काबू करने में जूझते रहे क्योंकि होली स्थल चारों तरफ से खचाखच भरा हुआ था। जैसे ही अखिलेश यादव ने होली खेलना शुरू की जैसे ही कार्यकर्ताओं ने मंच की तरफ बढ़ना शुरू किया। एनएसजी कमांडो ने मंच को घेरा बनाकर कार्यकर्ताओं को धक्का देकर कई बार पीछे किया। इस दौरान पत्रकारों से भी धक्का मुक्की हुई। मंच के पास कोई सिपाही ड्यूटी पर नहीं दिख रहा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री के हर कार्यक्रम में राजपत्रित पुलिस अधिकारी मौजूद रहते है, लेकिन इस बार किसी की भी ड्यूटी अखिलेश की सुरक्षा में नहीं लगाई गई थी। वहीं पर होली के हुडदंग में जनता अखिलेश से होली खेलने के लिए बेकाबू हो गई। इस लोगों मों धक्का-मुक्की होने लगी। वहा पर दर्शनों कुर्सियां टूट गई। इस लेकिन पुलिस ने जनता को काबू में नहीं कर पाई।