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मुजफ्फरनगर दंगे में इस्‍तेमाल हुई AK-47 राइफलें

By Ajay Mohan
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मुजफ्फरनगर। जिस AK-47 राइफल को लेकर अजमल कसाब जैसे 12 आतंकियों ने मुंबई में घुस कर हमला किया उसी एके-47 के कारतूस मुजफ्फरनगर जिले के उस स्‍थान पर पाये गये हैं, जहां महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमला हुआ था। यही नहीं डॉक्‍टरों को कई शवों के पेट में से भी एके 47 के कारतूस मिले हैं। खास बात यह है कि यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने जब ग्रामीणों व कस्‍बों में रह रहे लोगों के घरों की तलाशी के लिये टीम भेजी, तो उस पर हमला हो गया। हमले के तुरंत बाद सीएम ऑफिस से फोन आया कि किसी के घर की तलाशी लेने की कोई जरूरत नहीं है।

जी हां पुलिस के हाथ एक बार फिर बंध गये। सच पूछिए तो पुलिस के हाथ तब भी बंधे थे, जब महापंचायत से लौट रहे 70 से ज्‍यादा लोगों पर घात लगाकर हमला किया गया। तब भी पुलिस वहां मौजूद थी, लेकिन कुछ नहीं कर सकी, क्‍योंकि ऊपर से ऑर्डर था कि चाहे कुछ भी हो जाये, गोली मत चलाना। लेकिन गोलियां तो चलीं, पर पुलिस की नहीं, दंगाईयों की ओर से। वो भी ऐसे हथियारों से जिन्‍हें रखने का हक सिर्फ सेना के पास है। इससे यह साफ है कि कहीं न कहीं मुजफ्फरनगर में हथियारों की सप्‍लाई बड़े पैमाने पर की जा रही है, जिससे सरकार बेखबर है। खास बात यह है कि मुजफ्फरनगर से लगे हुए बागपत में जब तलाशी अभियान चलाया गया तो वहां से एके 47 राइफल के 41 कारतूस, 9 एमएम पिस्टल की 17 कारतूस सहित डेढ़ दर्जन हथियार बरामद किए गए।

न तो यहां कुंभ का मेला था न आया था कोई सैलाब

सांप्रदायिक दंगों की आग में बुरी तरह झुलसे मुजफ्फरनगर में हिंसा काबू में है। शहर व आस-पास के गांव सामान्‍य जिंदगी में वापस लौटने लगे हैं। सेना और आरएएफ के जवान मुस्‍कुराते हुए जनता से हाथ मिलाते नजर आ रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच एक सवाल अभी भी बड़े प्रश्‍न चिन्‍ह की तरह मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के सामने घूम रहा है। वो यह कि सरकार ने शहर में कुल 38 मौतों की पुष्टि की है, जबकि 250 से ज्‍यादा लोग लापता हैं।

मुजफ्फरनगर में कोई कुंभ का मेला नहीं लगा था, जिसमें ढाई सौ लोग खो गये और न ही कोई प्राकृतिक आपदा सैलाब लेकर आयी, न भूकंप आया और न ही कोई नदी उफनाई। ऐसे में 250 सौ लोग कहां गये? इस सवाल ने इस समय मुख्‍यमंत्री अलिखेश यादव की नींदें उड़ा रखी हैं। एक सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीम ने अभी तक भोपा नहर में शवों की तलाश क्‍यों नहीं की। अगर सूत्रों की मानें तो स्‍थानीय लोगों ने इस नहर में तमाम शवों के बह जाने की आशंका भी जताई है। शहर व गांवों का ताज़ा हाल स्‍लाइडर में।

कर्फ्यू में पांच घंटे की ढील

कर्फ्यू में पांच घंटे की ढील

बुधवार को कर्फ्यू में पांच घंटे की ढील दी गई। इस दौरान हिंसा की कोई ताजा घटना सामने नहीं आई। सुरक्षा के मद्देनजर मुजफ्फरनगर और आस-पास के जिलों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती है। हिंसा में शामिल होने के आरोप में अब तक 400 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। जिले के शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी जीवन तेजी से पटरी पर लौट रहा है, जहां से बीच-बीच में हिंसा भड़कने की खबरें आ रही थी।

10-10 लाख रुपये का मुआवजा

10-10 लाख रुपये का मुआवजा

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया। कर्फ्यू में ढील दिए जाने से बाजारों में भीड़ जुटी रही। लोगों ने अपनी जरूरत के सामानों की खरीदारी की।

हालात सामान्य

हालात सामान्य

सिविल लाइन, कोतवाली और नई मंडी में जारी कर्फ्यू में बुधवार को दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक ढील दी गई। हालात को लगातार सामान्य होता देख ढील को बढ़ाने का फैसला किया गया है। गुरुवार को कितने घंटे की ढील होगी यह देर रात या गुरुवार सुबह तय होगा।

कुछ जगहों पर तनाव

कुछ जगहों पर तनाव

कुछ जगहों पर हालात तनावपूर्ण हैं, लेकिन मंगलवार से अब तक हिंसा की कोई नई घटना सामने नहीं आई है। कर्फ्यूग्रस्त इलाकों के साथ-साथ पूरे जिले में वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी हालात की निगरानी कर रहे हैं। पुलिस के साथ बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल और सेना के जवान प्रभावित इलाकों में लगातार गश्त कर रहे हैं।

अब तक 38 की मौत

अब तक 38 की मौत

अब तक हिंसा में आधिकारिक रूप से 38 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है। महापंचायत के दिन हिंसा में घायल एक व्यक्ति के मेरठ के महर्षि अस्पताल में दम तोड़ने और लापता चल रहे भोकरहेड़ी निवासी एक व्यक्ति का शव मिलने की खबरें बुधवार को आईं लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।

घायलों की कुल संख्या 68

घायलों की कुल संख्या 68

प्रशासन की तरफ से घायलों की कुल संख्या 68 बताई गई है जिनमें से 18 व्यक्ति मेरठ उपचार के लिए भेजे गए जबकि 9 व्यक्ति मुजफ्फरनगर के अस्पताल में भर्ती है। बाकी घायलों को छुट्टी दे गई है। मुजफ्फरनगर के अलावा शामली, मेरठ, सहारनपुर और बागपत में भी स्थिति सामान्य रही।

वीडियो मुजफ्फरनगर का नहीं

वीडियो मुजफ्फरनगर का नहीं

यू-ट्यूब पर दिखाया जा रहा वीडियो मुजफ्फरनगर का नहीं है। इसका संबंध मुजफ्फरनगर के कवाल कस्बे की घटना से नहीं बल्कि यह वीडियो लगभग 2 साल पुराना सियालकोट (पाकिस्तान) की किसी घटना से संबंधित है। अफवाहों की रोकथाम के लिए स्थानीय व राज्य स्तर पर प्रेस-ब्रीफिंग की व्यवस्था की गई है।

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English summary
According to top officials there is a clue of AK 47 rifles being used in Muzaffarnagar during the communal riots. Police team have found AK47 bullets.
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