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UP में अब बिखरी हुई जातियों को समेटने में जुटी BJP, जानिए विधायकों और सांसदों को क्या मिला टास्क

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लखनऊ, 1 दिसंबर: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने 'सामाजिक संपर्क' अभियान के तहत 175 से अधिक विधायकों, सांसदों, राज्य के पूर्व विधायकों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित समुदायों के अन्य नेताओं को तैनात किया है। इन नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी सीटों को छोड़कर एक से 10 विधानसभा क्षेत्रों में अपने समुदायों के लोगों के छोटे समूहों के साथ बातचीत करें। इससे पहले हालांकि बीजेपी लखनऊ में हर समुदाय से जुड़ा अलग-अलग सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन करा चुकी है। इसके बाद अब विधानसभा क्षेत्रों में लोगों को जोड़ने की जिम्मेदारी 175 से अधिक विधायकों के साथ ही एमपी को सौंपी गई है।

बीजेपी

बीजेपी के एक प्रदेश महासचिव ने बताया कि इस तरह के अभियान से पार्टी को विधानसभा सीटें हासिल करने में मदद मिल सकती है, जो 2017 के चुनावों में यादवों, जाटव दलितों और मुसलमानों के प्रभुत्व के कारण हार गई थी। उन्होंने कहा, "अगर हम ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में बिखरी हुई विभिन्न जातियों के समर्थन को मजबूत कर सकते हैं, तो हम यादवों, जाटव दलितों और मुसलमानों के वर्चस्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों में भी सपा और बसपा को हरा सकते हैं।"

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कार्यक्रम के तहत प्रतिदिन 25 से 30 कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस अभियान से पहले, पार्टी ने ओबीसी और दलित समूहों के साथ 27 सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन भी आयोजित किए। इस अभियान से जुड़े बीजेपी के नेता ने कहा कि, "शहरी क्षेत्रों में बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में जेबों की पहचान वहाँ विशेष जातियों की उपस्थिति के अनुसार की गई है। ओबीसी और एससी एवं एसटी आबादी वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन 175 से अधिक विधायकों, सांसदों और अन्य वरिष्ठ नेताओं में से प्रत्येक को उनकी जाति के लोगों के एक समूह के सामाजिक सम्मेलनों में जाने और संबोधित करने के लिए उनके निर्वाचन क्षेत्रों के बाहर 1-10 विधानसभा क्षेत्रों को सौंपा गया है।"

बीजेपी

बीजेपी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि,

"इस तरह के कार्यक्रम पार्टी कार्यकर्ताओं में भी उत्साह पैदा करते हैं. मौजूदा और पूर्व विधायकों और सांसदों के अलावा, सत्तारूढ़ दल ने बोर्ड, निगमों, जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों के अध्यक्षों को भी नियुक्त किया है। ये लोग योगी सरकार और मोदी सरकार की नीतियों और अच्छे कामों को लेकर जनता के बीच जाएंगे और उनके बारे में बताएंगे। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में पिछले साल में जिस तरह से यूपी का विकास हुआ है उससे अंतिम पायदान पर खड़े शख्स को भी लाभ पहुंचा है।''

बीजेपी का दावा- यह कार्यक्रम जाति केंद्रित नहीं

वहीं दूसरी ओर भाजपा के कार्यक्रम को प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष लोकेश कुमार प्रजापति सहित विभिन्न पिछड़ा वर्ग के पार्टी नेता कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। बीजेपी की राज्य महासचिव, प्रियंका सिंह रावत ने कहा कि ये सम्मेलन विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों तक पहुंचने के लिए आयोजित किए जाएंगे। ये कार्यक्रम जाति केंद्रित नहीं हैं। वहीं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन में पासी, कनौजिया, वाल्मीकि, कोरी, कठेरिया, सोनकर और जाटव। ये सात अनुसूचित जातियों में प्रमुख जातियां हैं। कई अन्य जातियां भी हैं, और उन्हें भी इन आयोजनों में आमंत्रित किया जाएगा।

लखनऊ में 15 से 31 अक्टूबर तक हुए थे सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने संगठन और सरकार को एकजुट करते हुए सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलनों की शुरुआत कर दी है। इसकी शुरूआत 15 अक्टूबर को हो गई जो 31 अक्टूबर तक चली। दरसअल बीजेपी की प्लानिंग भाजपा की योजना 31 अक्टूबर तक राज्य भर में ऐसे 27 सम्मेलन आयोजित करने की थी। इन सम्मेलनों के जरिए पार्टी हर वर्ग और समुदाय तक पहुंचना चाहती थी। ये सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित किए गए थे जब विपक्षी सपा समुदायों से जुड़ने के लिए यात्राएं निकाल रही थीं, जबकि बसपा ने सम्मेलनों का आयोजन किया है। इन सम्मेलनों की सफलता के बाद अब बीजेपी ने विधायकों और सांसदों को टास्क पकड़ाया है।

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English summary
After the social representative conference, BJP is now busy reconciling the scattered castes, know what the task of MLAs and MPs got
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