सहारनपुर हिंसा के आरोपी ने ताल ठोक कर किया कोर्ट में सरेंडर, बौनी साबित हुई पुलिस
सहारनपुर। आखिर वही बात साबित हुई जिसके कयास लगाए जा रहे थे। भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन को भगोड़ा बताने वाली पुलिस चाह कर भी उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। वही, पुलिस को फूल चढ़ाते हुए विनय रतन ताल ठोक कर कोर्ट में पहुंचा और एसीजेएम प्रथम के सामने सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उसे 14 दिन की पुलिस अभिरक्षा में भेजा है। इस सब घटनाक्रम के दौरान पुलिस दूर-दूर तक भी कहीं नहीं थी।
ज्ञात रहे कि सहारनपुर हिंसा में भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष फतेहपुर निवासी विनय रतन को भी पुलिस ने आरोपी बनाया था। 1 साल से पुलिस रिकॉर्ड उसे भगोड़ा बताता चला आ रहा है। जबकि उसने इस दौरान पुलिस अधिकारियों के सामने कई मंच साझा किए। मगर पुलिस उसे गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। यहां तक कि 2 दिन पूर्व 82 की कार्यवाही को पुलिस उसके घर पहुंची, तो विनय रतन घर में ही मौजूद था। उसकी मौजूदगी में ही नोटिस चस्पा की कार्रवाई पूरी कर पुलिस गिरफ्तारी किए बिना ही वापस लौट आई और बाद में दलीलें दी कि उसके घर जाने वाले पुलिस अधिकारी उसे पहचानते नहीं थे। इस सब के बीच एसएसपी भी करीब-करीब मौन ही रहे और केवल जांच का राग अलापते रह गए।
जबकि, अब सोमवार को बड़े सवेरे से ही भीम आर्मी की ओर से सूचना फ्लैश की गई कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन कोर्ट में सरेंडर करेंगे और ठीक 12 बजे विनय रतन दनदनाते और ताल ठोकते हुए कोर्ट में पहुंचा। उसके साथ नगराध्यक्ष परवीन गौतम तथा जिला अध्यक्ष कमल वालिया भी था। विनय रतन ने एसीजेएम प्रथम निर्दोष कुमार के कक्ष नंबर 19 में कोर्ट के समक्ष समर्पण कर दिया। कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस दौरान कोर्ट परिसर में गहमागहमी रही और बड़ी संख्या में भीम आर्मी से जुड़े पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी पहुंचते रहे। मगर इस दौरान दूर-दूर तक पुलिस का कहीं नामोनिशान नहीं था। इसे पुलिस की हताशा के रूप में देखा जा सकता है।
जिस तरह से भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और 1 साल से पुलिस रिकॉर्ड में भगोड़ा विनय रतन ने छाती ठोक कर कोर्ट में पहुंच सिलेंडर किया और पुलिस एक तरह से अनजान बनी रही, जबकि भीम आर्मी ने भी पुलिस को मुंह चढ़ाते हुए बड़े सवेरे से ही विनय के कोर्ट में सरेंडर करने की सूचना प्रसारित कर दी थी। इसके बावजूद खाकी कहीं आस-पास भी नहीं फटकी। इसके पीछे सेटिंग का खेल साफ नजर आ रहा है। पुलिस अधिकारियों ने किसी भी बवाल से बचने के लिए कोर्ट तक पहुंचने का विनय का रास्ता साफ कर दिया था और यही कारण रहा कि पुलिस को सूचना होने के बावजूद विनय ने सीधे कोर्ट में पहुंच समर्पण कर दिया और पुलिस उस पर हाथ तक नहीं डाल सकी।
जिस तरह से सहारनपुर हिंसा का आरोपी 1 साल तक अपने घर में मौजूद रहा और पुलिस अधिकारियों के सामने भी खुलेआम घूमता रहा। फिर ताल ठोक कर और पुलिस को सूचना होने के बावजूद वह समर्पण के लिए कोर्ट तक पहुंच गया और कोर्ट में समर्पण भी कर दिया। इस सब के पीछे पुलिस के लिए अच्छा संदेश नहीं गया है और एक तरह से पुलिस भीम आर्मी के सामने बौनी ही नज़र आई है।