उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

महिला दिवस: बुजुर्ग विधवा का दर्द, इंजीनियर-वकील बेटों ने पिता की हत्या कर घर से निकाला

By Rajeevkumar Singh
Google Oneindia News

मथुरा। यूपी के मथुरा और वृंदावन में आज भी ऐसी विधवा महिलाएं हैं जिन्हें सरकार की तरफ से कोई भी सहायता नहीं मिल रही है। यह महिलाएं केवल संस्था के सहारे अपना जीवन किसी तरह गुजर रही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। दूसरी तरफ जो सरकार है, इन विधवा महिलाओं की तरफ ध्यान नहीं दे रही है। सरकार आती है और महिलाओं के लिए लुभावने वादे करती है लेकिन यह बातें सिर्फ वादे ही बनकर रह जाते हैं। महिला दिवस के अवसर पर वृंदावन के कई आश्रमों में जाकर महिलाओं की स्थिति को जाना और उनसे बात की। मां धाम आश्रम में जब हमारी टीम महिलाओं के जीवनयापन के बारे में जानने पहुंची तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई।

राम सिया की दुखभरी कहानी

राम सिया की दुखभरी कहानी

मां धाम आश्रम में अपना जीवनयापन करने वाली राम सिया नामक महिला उम्र करीब 72 वर्ष जो कि कानपुर की रहने वाली है । उन्होंने अपने साथ हुई पीड़ा को बताया। रामसिया नामक महिला के 2 बेटे और 6 बेटियां हैं । इनका कहना है इनका बड़ा बेटा आनंद उर्फ़ अमित जोगी पेशे से इंजीनियर है और छोटा बेटा ललित उर्फ़ अनूप पेशे से वकील है। दोनों बेटों ने अपनी मां को तो घर से ही निकाल दिया, साथ ही अपने पिता को भी जिंदा नहीं रहने दिया।

बेटों ने प्रॉपर्टी हड़पकर घर से निकाला

बेटों ने प्रॉपर्टी हड़पकर घर से निकाला

राम सिया ने बताया कि उनका पति गणेश शंकर बाजपेई प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे। उनके बेटे उन्हें प्रॉपर्टी को लेकर हर दिन परेशान करते थे और उनके पति को बहुत ही सताते थे। यह सब प्रॉपर्टी हड़पने के लिए उनको परेशान किया करते थे और मेरे साथ भी अभद्र व्यवहार करते थे। नम आंखों से इस महिला ने अपनी व्यथा हमें सुनाई और अपने साथ हुई आपबीती को रखा। महिला का यह भी कहना है कि 27 मार्च 2017 को उनके बेटों ने उन्हें वहां से भगा दिया और 30 मार्च को उनके पति गणेश शंकर बाजपेई की बेटे ने ही हत्या करवा दी और जो भी प्रॉपर्टी उनके हिस्से में थी सबको हड़प कर गए।

सरकार करे पेंशन की व्यवस्था

सरकार करे पेंशन की व्यवस्था

इस महिला का यह भी कहना था कि मैं ट्रेन से कटने के लिए आई थी लेकिन भगवान ने एक व्यक्ति को भेजा और उस व्यक्ति ने मुझे समझाया कि मरने से अच्छा है कि तुम कहीं मंदिर या आश्रम में जाकर अपना जीवन-यापन करो। जिस आश्रम में मैं रहती हूं उस आश्रम मैं मुझे आश्रय मिला और खाने-पीने के साथ-साथ पहनने के लिए कपड़ा भी आश्रम के लोगों ने हम लोगों को दिया। सरकार की तरफ से कोई पेंशन की व्यवस्था हमारे लिए नहीं की गई है। सरकार वादे तो करती है लेकिन हमारी तरफ कोई ध्यान नहीं देती, अगर हमारी तरफ भी सरकार ध्यान दें और हमें हर महीने पेंशन की व्यवस्था कर दे तो हम भजन कर उसमें प्रसाद लगा देंगे। जिस आश्रम में हम रहते हैं, वह आश्रम हमारे लिए बहुत अच्छा काम कर रहा है और हम उस आश्रम पर और अधिक बोझ नहीं डाल सकते। सरकार से अपील करते हैं कि इस आश्रम में 80 के करीब अनाश्रित महिलाएं रहती हैं। सरकार उन सब के बारे में सोचें और कुछ ना कुछ इन महिलाओं के लिए करें।

Read Also: #WomensDay : दिल्ली की पहली महिला E-Rickshaw ड्राइवर की दिल छूने वाली कहानी

Comments
English summary
A widow's tragic story on International Woman's Day
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X