अटल को पिता मानने वाले काशी के इस युवक ने मुंडवाया सिर, किया पिंडदान भी
वाराणसी। मोक्ष की नगरी काशी में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपने पिता तुल्य मानने वाले एक युवक ने अटल जी के निधन पर अपने बाल मुंडवा दिए। इतना ही नहीं उसने उनका पिंडदान भी कर दिया। दिल्ली के स्मृति स्थल पर अंतिम संस्कार के बाद वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर गंगा के किनारे बैठ कर उसने अटल जी का तर्पण करते हुए अपने सिर का बाल मुंडवाया और साथ ही पूरे विधि विधान से घाट के पुरोहित के साथ बैठ कर उनका पिंडदान किया। इस दौरान वह लगातार अपने साथ अटल जी की तस्वीर हाथ में लिए रहा।
पिंडदान करने वाला युवक बनारस के एक शॉप पर नौकरी करता है। वह लंबे समय से अटल जी को अपने पिता की तरह मानता है। उनके ना रहने पर वह बेहद उदास हुआ था। इसके बाद उसने सिर मुंडवाने और पिंडदान करने का फैसला लिया। इस तर्पण के कार्यक्रम में युवक मनीष उपाध्याय के साथ उनके दुकान के मालिक और कई वाराणसी में अटल जी के नीतियों को मानने वाले लोग मौजूद थे। लोगों की माने तो काशी के इस घाट पर पिंडदान करने से मृतक आत्मा को शांति मिलती है। ऐसे में अटल जी जैसे प्रधानमंत्री जिन्होंने देश को बहुत कुछ दिया उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए यहां पिंडदान किया गया है।
अटल जी के विचारों से मनीष है प्रभावित
मनीष उपाध्याय चौक के एक साड़ी की फर्म पर नौकरी करता है। वह अटल जी के विचारों से काफी प्रभावित था। जब उसे 16 अगस्त को जानकारी हुई की अब अटल जी हम लोगों के बीच नहीं रहे तो उसने अपनी दुकान के मालिक सुनील कुमार से कहा कि वह अटल जी की आत्मा की शांति के लिये काशी के मणिकर्णिका घाट पर उनका श्रद्धा और पिंडदान करना चाहता है। इसके बाद सुनील उसे अपने साथ मणिकर्णिका घाट ले आये और ब्राह्मणों से पूरे विधिविधान के साथ अटल जी का तर्पण कराया।
क्या है मणिकर्णिका की मान्यता
पुराणों में मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का कान का कुंडल गिरा था जो माणिक का होने के कारण मणिकर्णिका घाट के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वही धर्म शास्त्रों की माने तो यहां मृतक का अंतिम संस्कार और तर्पण करने आए मृतक को भगवान शिव तारक मंत्र देते है जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि पूर्वांचल सहित कई शहरों से लोग यहां आते है। इस पूरे मामले पर काशी डमरू संघ के मोनू बाबा ने बताया कि अटल जी के आत्मा की शांन्ति के लिए काशी के महाश्मशान पर विशेष पूजा की गई है और आज यहां तर्पण किया गया है।