यूपी:उम्रकैद की सजा काट रहा कैदी पढ़ाई कर बना गोल्ड मेडलिस्ट
सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे सुरेश को लगा कि पढ़ाई कर लोगों को दिखाना चाहिए और उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल करके दिखा दिया।
वाराणसी। वाराणसी के केंद्रीय कारागार में बंद आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी सुरेश ने जेल से ही अपनी पढ़ाई जारी रखी और आज वो गोल्डमेडलिस्ट की कैटेगरी में शामिल हो गए हैं। सुरेश को डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडी (डीटीएस) की इग्नू परीक्षा में गोल्ड मेडल मिला है, वो भी विश्व के जाने-माने यूनिवर्सिटी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के हाथों। यही नहीं जब सुरेश को मेडल से नवाजा गया तो केंद्रीय कारागार के डिप्टी जेलर, इग्नू के वाराणसी के सेंटर के डायरेक्टर डाक्टर अवध नारायण त्रिपाठी सहित तमाम हस्तियां मौजूद थीं। सुरेश को सेंट्रल जेल की कड़ी सुरक्षा के बीच काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लाया गया और उनको सम्मानित भी किया गया।
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हत्या का मामले में काट रहा हैं सजा
दरसअल वाराणसी से सटे हुए जिले गाजीपुर के सैदपुर के रहने वाले सुरेश राम अपने पट्टीदारों से जमीन के विवाद के कारण हुई मौत मामले में दोषी करार दिए गए थे और उनको उम्रकैद की सजा मिली थी। सुरेश को ये ख्याल आया कि क्यों न समाज के लिए एक नया मैसेज दिया जाये और लोगों को ये मालूम हो कि जेल में सिर्फ खूंखार कैदी ही नहीं बल्कि शिक्षा को पूजने वाले भी हैं।
सुरेश ने कड़ी मेहनत से की पढ़ाई
यही नजीर पेश करते हुए सुरेश ने अपने ही बैरक में 45 अन्य कैदियों के बीच रहते हुए 6 से 7 घंटे तक कड़ी मशक्कत कर इग्नू की डिप्लोमा इन टूरिजम स्टर्डी (डीटीएस) परीक्षा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। जब सुरेश को जेल में ला गया था तब वे बीए पास हुए थे अब इनके पास डिप्लोमा की डिग्री है। यही नहीं वो यहां से निकलने के बाद वकालत करना चाहते हैं और समाज की सेवा करना चाहते है ताकि बेगुनाहों को झूठे मुकदमो से मुक्ति मिले।
जेल में मनाया गया जश्न
सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि सुरेश क्रिकेट के भी अपने टीम के अच्छे खिलाड़ियों में जाने जाते हैं। जब इनका बल्ला बोलता हैं तो विपक्षी टीम पस्त हो जाती है। केंद्रीय कारागार में हर वर्ष होने वाले टूनामेंट में सुरेश जरूर भाग लेते हैं और जेल के ग्राउंड में छक्के-चौके की बौछार करते हैं। सुरेश की शादी 2003 में हुई थी और उन्हें एक बेटा भी है जिसकी उम्र आज करीब 10 वर्ष है। वो भी सुरेश की तरह पढ़ाई को ही अपना सबकुछ मानता हैं। जब सुरेश को इग्नू की परीक्षा में गोल्ड मैडल मिलने की खुशखबरी जेल तक पहुंची तो वहां ख़ुशी का मौहाल बन गया। जेलर से लेकर कैदियों ने सुरेश को बधाइयां दीं और जेल में जश्न के तौर पर मिठाइयां भी बांटी गयी।
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