Video: इस प्राइवेट स्कूल की फीस ऐसी कि आप रोज भरने पहुंच जाएंगे
इटावा। बढ़ती महंगाई के इस जमाने में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए फीस बढ़ोतरी की मार झेलनी पड़ती है। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि स्कूल में पढ़ाई करने के लिए आपसे फीस नहीं बल्कि वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए पौधा लिया जाता हो। जी हां इसे पढ़कर आपको हैरानी होगी लेकिन ये वाकया बिल्कुल सही है। दरअसल यूपी के इटावा जिले में एक ऐसा स्कूल है जहां छात्राओं से फीस के बदले रुपए न लेकर एक-एक पौधा लिया जाता है।
सालभर की फीस है एक पौधा
इटावा जिले में एक ऐसा प्राइवेट मांटेसरी स्कूल है जहां पर पढ़ाने वाली छात्राओं से फीस के बदले रुपए न लेकर एक-एक पौधा लिया जाता है। स्कूल प्रबंधन कि यह अनोखी फीस समाज में पर्यावरण को बढ़ावा देने और पर्यावरण के प्रति छात्राओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए पिछले कई वर्षों से ले रहा है। इटावा के चकरनगर तहसील क्षेत्र में पड़ने वाले दाउदपुर गांव में एक निजी कन्या मांटेसरी स्कूल में पढ़ने वाली सभी छात्राओं से फीस के नाम पर एक-एक पौधा स्कूल प्रबंधन लेता है।
पौधे की देखभाल के बाद अगली कक्षा में प्रवेश
इस तरह की अनोखी फीस स्कूल प्रबंधन उस समय लेता है जब छात्राएं अपने अभिभावक के साथ स्कूल में प्रवेश लेने आती हैं। इस अनोखी फीस वाले निजी स्कूल में छात्राओं से पूरे साल भर में कोई फीस नहीं ली जाती है। स्कूल के इस अनोखे अभियान में छात्राओं के अभिभावकों का पूर्ण सहयोग मिल रहा है। इस कन्या मांटेसरी स्कूल के प्रबंधक बताते हैं कि छात्राओं के प्रवेश के समय लिए जाने वाले पौधे को या तो छात्राएं स्कूल में ही लगाती हैं या फिर उसे अपने घर में ले जाकर लगाती हैं। स्कूल प्रबंधक ने कहा कि जब उनके स्कूल की छात्राएं पास होकर अगली कक्षा में जाती हैं तो उन्हें दूसरी कक्षा में तभी प्रवेश मिलता है जब स्कूल प्रबंधन यह देख लेता है कि उस छात्रा को जिस पौधे की जिम्मेदारी मिली थी उस पौधे की देखभाल सही तरीके से की गई है या नहीं।
स्कूल प्रबंधन की ओर से निशुल्क किताबें
स्कूल प्रबंधन पर्यावरण को बढ़ावा देने और छात्राओं को जागरूक करने के लिए यह अनोखी फीस की मुहिम पिछले कई सालों से चला रहा है। स्कूल प्रबंधन स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को अपनी तरफ से पढ़ने की सामग्री निशुल्क उपलब्ध करवाता है। इस स्कूल में कक्षा चार तक पढ़ाई होती है। पिछले साल यहां 22 बच्चों ने दाखिला लिया था। इस साल संख्या बढ़कर 40 हो गई है।
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