थाने में फरियाद लेकर पहुंची बच्ची, 'पुलिस अंकल मुझे स्कूल जाना है, पापा ने बस्ता छीन लिया है'
मथुरा। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ इस नारे को लेकर मोदी सरकार बेटियों को पढ़ाने के लिए मुहिम चला रही है। इस मुहिम में सामजिक संस्था भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं लेकिन इस नारे के मायने उस समय बेगाने लगते हैं जब बेटियों को पढ़ने से उसके अपने परिजन ही रोकें। मामला मथुरा का है जहां मासूम बेटी तमन्ना अपनी मां को लेकर पुलिस के पास पहुंची और शिकायत की कि उसका पिता ही उसे पढ़ने से रोक रहा है।
पुलिस से लगाई बच्चों ने गुहार
मथुरा के थाना गोविंदनगर इलाके की रहने वाली जहीरा पुलिस के पास अपनी मासूम बेटी को लेकर केवल इसलिए पहुंची है कि उसका पति मासूम बेटी तमन्ना को स्कूल पढ़ने नहीं जाने दे रहा। मथुरा के एसपी सिटी ऑफिस के बाहर आंखों में आंसू और दिल में स्कूल जाने की तमन्ना लेकर पहुंची 7 साल की मासूम मथुरा के एक स्कूल में एलकेजी की छात्रा है लेकिन कुछ दिनों से तमन्ना स्कूल नहीं जा पा रही। तमन्ना की मानें तो इसकी वजह और कोई नहीं, उसका पिता दिलशाद है। दिलशाद नहीं चाहता कि उसकी बेटी तमन्ना और बेटा शाबिर स्कूल जाएं और पढ़ें। तमन्ना की परीक्षाएं होने वाली हैं लेकिन पिता दिलशाद है कि उसने उसका बस्ता और किताबें रख ली हैं जिससे वह स्कूल न जा पाए। तमन्ना का भाई 8 साल का शाबिर उसी के स्कूल में क्लास 1 में पढ़ता है। पिता दिलशाद उसे भी स्कूल नहीं जाने देना चाह रहा।
बच्चों के स्कूल जाने से रोक रहा पिता
अपनी मां जाहिरा के साथ एसपी सिटी के पास पहुंची तमन्ना ने उनसे कहा कि पुलिस अंकल हमको स्कूल जाना है। छात्रा की गुहार सुनने के बाद एसपी सिटी ने जाहिरा से मामला समझा तो पता चला कि जाहिरा का पति नहीं चाहता कि उसके बच्चे पढ़ें। वह उनसे मजदूरी कराना चाहता है। जाहिरा का आरोप है कि उसका पति जुए-सट्टा का आदी है और वह मजदूरी करा कर उन पैसों से अपने शौक पूरे करना चाहता है। पढ़ाई की बात कहने पर वह मारपीट करने से भी नहीं चूकता। जाहिरा के अनुसार उसने दो बार बच्चों की फीस दिलशाद को दी लेकिन दिलशाद ने फीस जमा नहीं की।
अधिकारी ने दिया संबंधित थाने को आदेश
तमन्ना की मां जाहिरा ने बताया कि पति हमारे बच्चों से मारपीट करते है और हम जो मेहनत करते हैं, वो सारे पैसे छीन लेते हैं। तमन्ना और साजिद को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन फीस के पैसों को पति ने हड़प लिया। एसपी सिटी श्रवण कुमार सिंह ने तमन्ना की गुहार सुनने के बाद इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाने का भरोसा दिया और पिता से बच्चों के बैग दिलवाकर पेपर में बैठने के लिए संबंधित थाना पुलिस को आदेश दिए। तमन्ना पढ़कर लिख कर एक अच्छा अधिकारी बनना चाहती है। 7 साल की उम्र में ही वो वो बड़े-बड़े सपने देखती है लेकिन उनके इन सपनों को साकार होने देने में उसका पिता ही बाधक बना है। तमन्ना अपने जैसे बच्चों को जब स्कूल जाते देखती है तो उसकी आंखों में आंसू छलक जाते हैं।
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