अपनी पॉकेट मनी से शुरू की शिक्षा देने की मुहिम, 1 हजार बच्चों को कर चुके है शिक्षित
वाराणसी। सेवा का भाव हो तो हाथ किसी न किसी रूप में मदद के लिए खुद-ब-खुद आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा ही कुछ कर रहे है वाराणसी के रजत द्विवेदी। रजत द्विवेदी ने मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को साक्षर करने का बीड़ा उठाया है। इसकी शुरूआत 2013 में की थी।
मलिन बस्तियों के बच्चों को किया जा रहा है साक्षर
ट्राई टू फाइट फाउंडेशन नाम की संस्था के साथ मिलकर रजत द्विवेदी ने अपनी पॉकेट मनी से बच्चो को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया था। जो किन्हीं कारणों से स्कूल जाने में असमर्थ है। बता दें कि इसनें से ज्यादातर बच्चें कूड़ा उठाने वाले, गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाले और अपने बचपन मे घर की जिम्मेदारी के बोझ के आगे स्कूल बैग का बोझ न उठा कर निरक्षर थे। इन्ही बच्चों का भविष्य सवारने के लिए रजत द्विवेदी ने सबसे पहले अकेले इस मुहिम की शुरुआत की और आज उनके साथ अलग अलग यूनिवर्सिटी के 500 से ज्यादा स्टूडेंट और 50 सस्था के लोग इन बच्चों के स्लम इलाकों में जाकर उन्हें शिक्षा, किताबे, और एक्टिविटी के क्लास चला कर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में जुटे हुए है।
लगता है TTF का शिक्षा कैम्प
इस मुहिम की शुरुआत वाराणसी के मंडुवाडीह, चौकाघाट, कोनिया, जैसे उन इलाकों से शुरू हुई थी जहां गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग झुग्गी झोपड़ी में रह कर अपना जीवन यापन करते है। परिवार का भरण पोषण करने के लिए बच्चे भी अपने माता-पिता के कामों में या तो हाथ बताते है या फिर खुद मेहनत और मजदूरी करते है। TTF के रजत ने बताया कि इसके लिए पहले उन इलाकों में रहने वालों से मिलकर उनके माता-पिता को मिलकर समझना पड़ा बहुत मुश्किल काम था जिसके बाद हम लोगों ने महज 5 बच्चों को लेकर कैम्प स्कूल शुरू किया थी। बताया कि आज करीब एक हजार बच्चे इस संस्था के माध्यम से शिक्षा ग्रृहण कर रहे है। वाराणसी से शुरू हुआ ये स्कूल अब भदोही, सोनभद्र, गाजीपुर और मिर्जापुर में कैम्प स्कूल चलता है।
समाज से जोड़ना है मकसद
ट्राई टू फाइट फाउंडेशन (TTF) का मुख्य कार्य शिक्षा क्षेत्र में इसके अलावा अलग अलग जागरूकता शिविर और स्वच्छता मुहिम के अलावा पर्यावरण क्षेत्र में भी TTF काम करती है। वहीं रजत के साथ के लोग नियमित रूप से जुड़कर अध्यापन व अन्य प्रकार के क्रियाकलापो में भाग ले रहे है। समय समय पर कम्प्टीशन भी कराया जाता है। इसका उद्देश्य इस तरिके के परिवार को समाज से जोड़ना और बच्चों में सामाजिक, वैज्ञानिक, बौद्धिक विकास करना है।