यूपी: एक भाई ने जान देकर अपने भाई को किया नेत्रदान, आखिरी इच्छा पर प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान
कानपुर। कलयुग के दौर में अपने एक गज जमीन के लिए जहां हत्या करने में तनिक भी न सोचता है। वहां एक भाई का ऐसा प्यार देखने को मिला जिसने सबको चौका दिया। इस दौर में जहां मामूली सी बात पर भाई-भाई की जान का दुश्मन बना हुआ है। वहां एक दिव्यांग ने अपने भाई की परेशानी को दूर करने के लिए मौत को गले लगा लिया पर अफसोस कि उसकी आखिरी इच्छा भी पूरी न हो सकी।
मामला कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र का है जहां राजीव विहार निवासी जितेंद्र पासवान ने फांसी लगाकर जान दे दी। जितेंद्र ने सुसाइड नोट में लिखा की उसकी मौत का कोई जिम्मेदार नही है। मौत के बाद आंखे उसके बड़े भाई बबलू को दे दी जाए। जितेंद्र बाएं पैर से दिव्यांग था। वह एक ऑटो पार्ट्स की दुकान में मैकेनिक का काम करता था। मां मालती के मुताबिक 4 बेटों में तीसरे नंबर का था। गुरुवार देर रात खाना खाने के बाद ऊपर कमरे में सोने चला गया। जहां उसने धन्नी से साड़ी के फंदे से फांसी लगा ली। घटना की जानकारी परिजनों को तब हुई जब सुबह वो ऊपर पहुचे तो शव फंदे से लटक रहा था।
घटना की जानकारी से परिवार में कोहराम मच गया। दअरसल म्रृतक को पता था कि उसकी विगलांगता का कोई इलाज नही पर भाई की महानता देखें की उसने दुनिया से अलविदा कहने में एक पल भी न सोचा। उसने ये कदम इसलिए उठाया कि उसका बड़ा भाई उसकी आंखों से दुनिया देख सके। सूचना पर पहुंची पुलिस ने सुसाइड नोट मिलने के बाद भी प्रयास नहीं किया कि म्रृतक की आखिरी इच्छा पूरी हो जाए। वहीं इस मामले में डाक्टर का कहना है की नेत्र दान मौसम के अनुसार होता है। सर्दियों में 4 से 5 घंटे मगर गर्मियों में महज ३ घंटे के भीतर ही नेत्र दान कर देना चाहिए वरना नेत्र दान नहीं हो सकता।
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