UP में 79 लाख फर्जी लाभार्थी सरकार को लगा रहे थे 8 हजार करोड़ की चपत, जानिए कैसे हुआ खुलासा
लखनऊ, 13 अगस्त: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी में लगातार लोककल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की ओर से भी तरह तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन इन योजनाओं की हकीकत कुछ और है। जरूरतमंद लोगों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ फर्जी लाभार्थी उठा रहे हैं। शासन के सूत्रों के मुताबिक 79 लाख फर्जी लाभार्थियों का नाम हटाया गया है जो विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठाकर योगी सरकार ने 8,000 करोड़ रुपये का चूना लगा रहे थे। इस कदम से सरकार को अपने खजाने को मजबूत करने में भी मदद मिली है।
सरकार ने की 79 लाख फर्जी लाभार्थियों की पहचान
सरकार ने पहले ही 79 लाख व्यक्तियों की पहचान की है, जो 11 विभागों द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए अपात्र थे। ये लोग गलत तरीके से सब्सिडी, प्रोत्साहन और पेंशन के वितरण का लाभ उठा रहे थे। दरअसल किसी तरह की देरी से बचने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से सरकारी योजनाओं का पैसा लाभार्थियों के खाते में भेजा जाता है। इसी जल्द का लाभ फर्जी अपात्र उठा रहे थे। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2.70 लाख व्यक्ति महिला कल्याण विभाग को गुमराह कर राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना का लाभ वापस ले रहे हैं।
इन विभागों में निकले फर्जी अपात्र
अधिकारियों के मुताबिक, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला कल्याण, सामाजिक कल्याण, चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, मत्स्य पालन, विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण, श्रम, व्यावसायिक और कौशल विकास, बुनियादी शिक्षा, हथकरघा और कपड़ा उद्योग और शहरी विकास सहित ग्यारह विभाग इसके लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाभार्थियों को प्रदान किए जाने वाले लाभों को स्थानांतरित करना।
19 विभागों में चल रही सरकार की जांच
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, " इन विभागों के अलावा 19 और विभाग इस प्रक्रिया में शामिल हैं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभों को सुविधाजनक बनाने में 11 विभाग सबसे आगे हैं। उनके डेटा की प्राथमिकता के आधार पर जांच की गई। इन वर्षों में कुल लाभ 2019-20 में 29,884 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 39,215 करोड़ रुपये और 2021-22 में 41,050 करोड़ रुपये हो गया है। यह राशि लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत दी गई है।
नकली लोगों को सूची से बाहर निकालने का अभियान
बकौल अधिकारी, "हमने नकली लाभार्थियों को बाहर निकालने के लिए एक अभियान भी शुरू किया है। लाभार्थियों के दस्तावेजों की जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में यूपी के सभी जिलों में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। अधिकांश मामलों में परिवारों ने अपनी वार्षिक आय को कम बताया जबकि कुछ मामलों में वास्तविक लाभार्थी का निधन हो गया था। लेकिन उनके बच्चे लाभ उठा रहे थे। ऐसी गलतियों को चिन्हित कर उन्हें सूची से हटाकर एक नई सूची अपडेट की गई है।''
सरकार को हुई आठ हजार करोड़ रुपये की बचत
इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 8,062 करोड़ रुपये की बचत हुई है और 79,08,682 फर्जी लाभार्थियों को डीबीटी सूची से हटा दिया गया है। यूपी में विभिन्न डीबीटी योजनाओं के तहत लगभग 8.35 करोड़ व्यक्तियों का पंजीकरण किया गया था। खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा अधिकतम विसंगतियों का पता लगाया गया जिसके बाद 55.51 लाख राशन कार्ड रद्द किया गया।
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