मुजफ्फरनगर दंगों का दंश कुछ हुआ कम, 5 साल बाद गांव वापस लौटे 33 मुस्लिम परिवार
मुजफ्फरनगर। साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से जिले के एक गांव से पलायन कर चुके 33 परिवार वापस गांव लौटे हैं। इन दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए शाहपुर क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले एक गांव से दंगों के दौरान 65 मुस्लिम परिवारों ने पलायन कर लिया था। जिसके बाद यहां के प्रदान संजीव कुमार के अथक प्रयासों के बाद अब तक 33 परिवार गांव वापस लौट आए हैं।
मुजफ्फरनगर जिले में कवाल कांड के बाद सितंबर 2013 में में हुए भीषण सांप्रदायिक दंगों का दर्द आज कम नहीं हुआ है। लेकिन मुस्लिम परिवारों के वापस से गांव लौटने और आपसी मेल-जोल ने सांप्रदायिक हिंसा की आग को कुछ ठंडा करने का काम किया है। दंगों के पास साल बाद एक बार फिर गांव में दंगे के घाव भरने की कोशिश पूर्व प्रधान संजीव कुमार ने की है। जो 33 परिवारों को गांव वापस ले आने में कामयाब हुए हैं।
मालूम हो कि आज से लगभग पांच साल पहले 27 अगस्त 2013 के दिन जानसठ के गांव कवाल में शाहनवाज और मलिकपुरा के सचिन-गौरव की हत्या हुई। इसके बाद जिले में शुरू हुआ पंचायतों का दौर, जिसने सात सितंबर तक आते-आते सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया, जिसकी लपटें देखते ही देखते शामली व मेरठ तक जा पहुंची थीं।
सांप्रदायिक हिंसा से जिले का शाहपुर क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। हिंसा के इसी माहौल में शाहपुर के गांव दुल्हेरा का भी माहौल खराब हुआ, जब गांव की तीन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में पंचायत में गए ग्रामीण देर रात तक नहीं लौटे। अगले दिन गांव कुटबा-कुटबी में हिंसा भड़की तो दुल्हेरा में रहने वाले कुल 65 मुस्लिम परिवारों में भी सुरक्षा को लेकर चिंताएं खड़ी हो गईं।
सांप्रदायिक हिंसा के पांच साल पूरे होने के साथ ही गांव दुल्हेरा जनपद में हिंदू-मुस्लिम एकता के बड़े प्रतीक के रूप में उभरकर सामने आया है। पूर्व प्रधान संजीव कुमार के प्रयासों के चलते दुल्हेरा से दंगे के समय पलायन करने वाले 65 परिवारों में से कुल 33 परिवार घर लौट आए हैं।