दो रुपये के सिक्के से रोक देते थे ट्रेन, फिर करते थे ये काम, खुलासे से हड़कंप
शिकायत के आधार पर पुलिस ने इन रूट पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे। फुटेज की मदद से एक बदमाश की पहचान हो गई। सोमवार रात भी बदमाश तिलपता कंटेनर डिपो के समीप एकत्र हुए थे और दादरी-अलीगढ़ रूट पर ट्रेन में यात्रियों से लूट की योजना थी।
नई दिल्ली। दिल्ली-हावड़ा रेलवे रूट पर ट्रेनों में लूटपाट करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने सोमवार देर रात सूरजपुर कोतवाली पुलिस और रेलवे पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह रेल पटरियों के बीच सिक्का डाल कर ग्रीन सिग्नल को रेड कर देता था, जिससे चालक ट्रेन रोक देता था। इसी दौरान बदमाश बोगियों में चढ़कर यात्रियों से हथियार के बल पर लूटपाट करते थे। पुलिस का कहना है कि अगर गिरोह को पकड़ा नहीं जाता तो बड़ा ट्रेन हादसा हो सकता था।
दो रुपये का सिक्का डाल कर अर्थिंग के जरिए हरे सिग्नल को लाल कर देते थे
बदमाश ट्रेन की पटरी के बीच दो रुपये का सिक्का डाल कर अर्थिंग के जरिए हरे सिग्नल को लाल कर देते थे और ट्रेन चालक खतरा समझ कर ट्रेन को रोक देता था। ट्रेन रुकते ही बदमाश उसमें दाखिल हो जाते थे और सवारियों के साथ लूटपाट करते थे। गिरोह में कुल आठ सदस्य है, तीन बदमाशों को गत दिनों रामपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था, अब दो को ग्रेटर नोएडा में पकड़ा गया है। सीओ अमित किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि करीब छह महीने से दिल्ली-हावड़ा रेलवे रूट पर ट्रेनों में लूटपाट की शिकायतें आ रही थीं। दादरी से लेकर अलीगढ़ के आगे तक लूटपाट की कई वारदात हो चुकी हैं।
पुलिस ने खंगाले थे सीसीटीवी फुटेज
शिकायत के आधार पर पुलिस ने इन रूट पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे। फुटेज की मदद से एक बदमाश की पहचान हो गई। सोमवार रात भी बदमाश तिलपता कंटेनर डिपो के समीप एकत्र हुए थे और दादरी-अलीगढ़ रूट पर ट्रेन में यात्रियों से लूट की योजना थी। बदमाशों की लोकेशन के आधार पर तिलपता के समीप से दो बदमाशों को गिरफ्तार किया गया, जबकि दो मौके से भाग निकले। पकड़े गए बदमाशों की पहचान बुलंदशहर के रहने वाले राजन व दिनेश के रूप में हुई है। बदमाशों के पास से तमंचा, दो रुपये का सिक्का बरामद किया गया है। पुलिस ने बताया कि सभी बदमाश एक ही गांव के रहने वाले हैं।
सिग्नल को लाल करने के लिए ये तरीका अपनाते थे
पुलिस ने बताया कि जब कोई ट्रेन पटरी से गुजरती है तो कुछ देर के लिए पटरी के जोड़ के बीच थोड़ी सी जगह बन जाती है। इसमें रबड़ आ जाती है। मौका पाकर बदमाश पटरी के बीच में दो रुपये का सिक्का डाल देते थे। सिक्का डालते ही रबड़ भी बीच से हट जाती थी। सिक्का डालने पर दोनों पटरियों को करंट का अर्थ नहीं मिलता है और अर्थ न मिलने की वजह से सिग्नल ग्रीन के बजाय लाल हो जाता था। सिग्नल लाल होते ही ट्रेन चालक को लगता था कि आगे खतरा है और चालक ट्रेन को रोक देते थे। जैसे ट्रेन रुकती थी, हथियारों से लैस बदमाश स्लीपर व एसी डिब्बे में सवार हो जाते थे और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देते थे।
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