शराब पीकर हंगामा करने वाले 15 ट्रेनी जजों को हाईकोर्ट ने किया बहाल
इलाहाबाद। ट्रेनिंग के अंतिम दिन शराब पीकर एक क्लब में हंगामा करने पर सेवा से हटाये गए 15 ट्रेनी सिविल जजों को हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया है। उच्च न्यायालय ने सेवा से हटाये गए जजों की याचिका को निस्तारित करते हुये हाईकोर्ट प्रशासन को तत्काल इन्हें सेवा में वापस लेने के आदेश दिये हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सुनवायी का पूरा मौका दिये बिना सेवा से हटाना उचित नहीं था। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में जस्टिस सत्येंद्र सिंह चौहान व जस्टिस रजनीश कुमार की डबल बेंच में सुना गया और आज आदेश की कापी इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को कार्यवाही के लिये सौंपी गई है
क्या
था
मामला
उत्तर
प्रदेश
लोक
सेवा
आयोग
द्वारा
आयोजित
पीसीएस-जे
परीक्षा
2013
में
चयनित
15
अभ्यार्थियों
को
विभिन्न
जिलों
में
बतौर
सिविल
जज
व
जूनियर
जज
के
पद
पर
कार्य
करने
के
लिये
जेटीआरआइ
में
ट्रेनिंग
दी
जा
रही
थी।
8
सितंबर
2014
को
इनकी
ट्रेनिंग
खत्म
होनी
थी।
लेकिन
ट्रेनिंग
खत्म
होने
की
पूर्व
संध्या
पर
यानी
7
सितंबर,
2014
को
सभी
ने
जश्न
मनाने
का
प्लान
बनाया
और
सभी
15
ट्रेनी
जज
लखनऊ
के
चरन
क्लब
एंड
रिसॉर्ट
में
पहुंचे।
यहां
शराब
पीने
के
बाद
आपस
में
बहस
करने
लगे
और
क्लब
में
हंगामा
मच
गया।
इस
घटना
की
रिपोर्ट
जब
हाईकोर्ट
के
चीफ
जस्टिस
को
दी
गई
तो
उन्होंने
जांच
करवाई
और
फिर
कोर्ट
ने
प्रशासनिक
कार्यवाही
करते
हुए
इन
15
ट्रेनी
जजों
को
सेवा
से
बाहर
कर
दिया
था।
हाईकोर्ट
में
क्या
दी
गई
दलील
ट्रेनी
जजों
ने
खुद
को
सेवा
से
हटाये
जाने
वाले
आदेश
को
हाईकोर्ट
में
चुनौती
दी
तो
याचिका
पर
जस्टिस
सत्येंद्र
सिंह
चौहान
व
जस्टिस
रजनीश
कुमार
की
बेंच
ने
सुनवाई
शुरू
की।
ट्रेनी
जजों
की
ओर
से
दलील
दी
गई
कि
उनसे
उनका
पक्ष
जाने
बगैर
फैसला
दिया
गया
था,
जबकि
यह
मामला
कोर्ट
में
आचरण
या
न्यायिक
कामकाज
के
तरीके
की
आपत्ति
का
नहीं
था।
कोर्ट
को
बताया
गया
था
कि
ट्रेनी
जजों
का
आपस
में
ही
विवाद
हुआ
था,
लेकिन
वहां
मौजूद
अन्य
किसी
से
दुव्र्यवहार
नहीं
किया
गया
और
दूसरे
दिन
घटना
के
लिए
एक
दूसरे
से
माफी
भी
मांग
थी।
याचियों
ने
हाईकोर्ट
से
एक
बार
सुधरने
का
मौका
मांगा
था
जिस
पर
अमल
करते
हुये
हाईकोर्ट
ने
सेवा
से
हटाये
गए
ट्रेनी
जजों
जजो
के
पक्ष
में
फैसला
सुनाया।
हाईकोर्ट
ने
क्या
सुनाया
फैसला
जस्टिस
सत्येंद्र
सिंह
चौहान
व
जस्टिस
रजनीश
कुमार
की
डबल
बेंच
ने
याचिका
को
निस्तारित
कर
हटाये
गए
ट्रेनी
जजों
को
सेवा
में
वापस
लेने
का
फैसला
सुनाते
हुये
याचियों
को
हटाने
संबंधी
14
सितंबर
2014,
22
सितंबर
2014
और
15
जून,
2015
को
पारित
तीन
आदेशों
को
खारिज
कर
दिया
है।
कोर्ट
ने
कहा
कि
इन्हें
सुधरने
का
मौका
देने
की
बजाय
सीधे
सेवा
से
हटा
देना
उचित
नहीं
था।
यह भी पढ़ें- यूपी में प्रशासन से टकरा गए सपाई, कहा टोल हटाओ नहीं तो हमें जेल में डालो
हाईकोर्ट ने अपने फैसले कोर्ट विस्तारित करते हुए कहा कि ट्रेनी जज युवा थे और ट्रेनिंग भी सफलता पूर्वक पूरी कर लिया था। बस उन्हें अनुभव नहीं था कि कोर्ट के अंदर व बाहर किस प्रकार का व्यवहार किया जाता है। ट्रेनिंग के अंतिम दिन उनसे जो हरकत हुई और आपस में ही झगड़े और माफी भी मांगी। तो ऐसे में उन्हें सुधरने का मौका देना चाहिए। फिलहाल उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट प्रशासन को तत्काल इन हटाए गए ट्रेनी जजों को सेवा में वापस लेने को कहा गया है।
यह भी पढ़ें- मंत्री ने लगाई गुहार यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं को ही दी जाएं नौकरियां