NTPC BLAST: कठघरे में बॉयलर की जांच करने वाला इंस्पेक्टर, रिश्वतखोरी के आरोप
रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में NTPC के पॉवर प्लांट में हुए हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है, जबकि 150 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इन घायलों का रायबरेली और लखनऊ के अस्पतालों में इलाज चल रहा है और कई लोगों की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि बॉयलर में हुआ ब्लास्ट इतना जबर्दस्त था कि आसपास काम कर रहे कुछ कर्मचारियों के चीथड़े तक उड़ गए। इस प्रोजेक्ट में कई अनियमितताएं बरती गई थीं जिसकी वजह से इलाका चीखों से गूंज उठा। बताया जा रहा है कि इसका एक बड़ा कारण बॉयलर जांच में हुई अनियमितता है। बॉयलर जांच के लिए बाकायदा एक इंस्पेक्टर नियुक्त होता है, लेकिन रायबरेली में नियुक्त इंस्पेक्टर पर आरोप हैं कि वह जांच में हीला हवाली बरतते हैं और जांच के नाम पर खानापूर्ति करते हुए पैसे लेकर जांच रिपोर्ट आगे बढ़ा देते हैं।
आरोप
है
कि
अच्छी
रिपोर्ट
बनाने
को
मोटी
रकम
मांगते
हैं
इंस्पेक्टर
सूत्रों
के
हवाले
से
मिली
जानकारी
के
मुताबिक
रायबरेली
में
स्थित
गंगा
पाइप
फैक्ट्री
में
बायलर
इंस्पेक्टर
जांच
के
लिए
आया
था
और
बिना
जांच
के
रिपोर्ट
लगाए
ही
मोटी
रकम
मांग
रहा
था।
नाम
ना
बताने
की
शर्त
पर
वहां
के
एक
कर्मचारी
ने
बताया
कि
बाहर
आने
पर
फैक्ट्री
के
अधिकारी
ने
उसे
20
हजार
रुपये
देना
चाहा
तो
उसने
इन
रुपयों
को
फेंक
कर
ज्यादा
पैसे
की
मांग
की।
इस
घटना
से
यह
सवाल
उठता
है
कि
जब
ऐसे
अधिकारी
होंगे
तो
मानक
विहीन
कार्य
से
दुर्घटनाएं
तो
होंगी
ही।
वाहवाही बटोरने के लिए संविदा पर रखते हैं अयोग्य कर्मचारी
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अधिकारी शाबाशी लेने के लिए कुशल तकनीकी लोगों की भर्ती न करके संविदा वालों को रखते हैं। इससे उन्हें अच्छा कमीशन मिलता है और सरकार का खर्च कम होता है और विभागीय मंत्री को एक मोटी रकम देकर अपना पद भी सुरक्षित करते हैं। केन्द्र और राज्य सरकार के अधीन सभी उपक्रमों का यही हाल है। कर्मचारी यूनियन भी बहुत कमजोर हैं और निजी फायदे के लिए अधिकारियों की चाटुकार भी हैं। अधिकारी मैन पावर कम कर वाह वाही लूट रहे है। कहीं ना कहीं जिम्मेदार सरकार की यह नीति बहुत ही निंदनीय है ।