मजदूरों ने क्वारंटाइन सेंटर बने उन्नाव के सरकारी स्कूल का किया कायाकल्प, PM मोदी ने की तारीफ
उन्नाव। क्वारंटाइन हुए प्रवासी श्रमिकों ने अपनी मेहनत व कला से उन्नाव के प्राथमिक विद्यालय नारायनपुर को संवारने का काम किया है। प्रवासी श्रमिकों ने अपनी मेहनत व कला से स्कूल की दीवारों को पेंट व स्लोगन लिखकर निखा दिया है। शनिवार को गरीब कल्याण रोजगार के नाम से 50 हजार करोड़ रुपए की जो योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच की है उसकी प्रेरणा उनको उप्र के उन्नाव जिले से मिली। दरअसल, इन्हीं युवाओं से प्रेरित होकर उन्होंने इस योजना का खाका तैयार किया था।
योजना के लांचिंग के दौरान पीएम मोदी ने इसका जिक्र भी किया। पीएम के अनुसार लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों से आए श्रमिकों और कामगारों को उन्नाव के एक सरकारी स्कूल में क्वारंटाइन किया गया था। इन श्रमिकों में से अधिकांश हैदराबाद से लौटे थे। इनकी रंग-रोगन और प्लास्टर ऑफ पेरिस के काम में मास्टरी थी। वह क्वारंटाइन में थे मगर उनको अपने गांव के लिए कुछ करना था। उन्होंने क्वारंटाइन रहते हुए अपने हुनर से स्कूल का ही कायाकल्प कर दिया। स्कूल की रंगाई पुताई करके चमका दिया। वह भी बिना पारिश्रमिक के। श्रमिक भाई बहनों के इस काम को जब जाना तो उनके कौशल ने मेरे मन को एक प्रेरणा दी। इसी प्रेरणा की देन है गरीब कल्याण रोजगार योजना।
पीएम के अनुसार मीडिया के जरिए जब मुझे यह खबर मिली तो मैं अपने श्रमिक एवं कामगार भाइयों के हुनर और देश भक्ति का कायल हो गया। मुझे लगा कि ये लोग देश और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा रखते हैं। इससे ही प्रेरित होकर मुझे गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू करने की प्रेरणा मिली। पीएम मोदी ने कहा कि सोचिए, कितना टैलेंट इन दिनों अपने गांव लौटा है। देश के हर शहर को गति और प्रगति देने वाला यह वर्ग जब ग्रामीण इलाकों में लगेगा तो संबंधित राज्य के विकास को भी गति मिलेगी। मालूम हो कि यह योजना बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 116 जिलों में चलेगी।
जहां
पढ़ा
उसके
लिए
कुछ
करना
जरूरी
स्कूल
को
चमकाने
वाले
युवा
हैं
कमलेश
कुमार,
विनोद
और
अरुण।
वह
दूसरे
प्रदेश
में
रहकर
पेटिंग
का
काम
कर
रहे
थे।
उनका
कहना
है
कि
जहां
पढ़ा
लिखा
उस
स्कूल
के
लिए
कुछ
करना
चाहते
थे।
विनोद
और
कमलेश
ने
कहा
कि
समय
था
और
काम
भी
नहीं
था।
इसलिए
गांव
में
खाली
बैठने
से
अच्छा
था
कि
स्कूल
की
पेटिंग
ही
की
जाए।
वह
नहीं
जानते
थे
कि
उनकी
बात
प्रधामंत्री
तक
पहुंच
जाएगी।
उन्होंने
कहा
कि
प्रधामंत्री
ने
जो
सम्मान
दिया
है
उसे
पूरी
जिंदगी
नहीं
भुला
सकते
हैं।