उन्नाव केस: कुलदीप सेंगर को झटका, पीड़िता के पिता की हत्या और झूठे केस में फंसाने के मामले में आरोप तय
उन्नाव। भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें और बढ़ गई है। दरअसल दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने पीड़िता के पिता को झूठे आर्म्स केस में फंसाने और पुलिस हिरासत में उनकी मौत के मामले में बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत 10 के खिलाफ आरोप तय किए हैं। बता दें कि कुलदीप सिंह सेंगर के अलावा इस मामले में उनके भाई और यूपी पुलिस के तीन पुलिसकर्मियों समेत 5 अन्य को आरोपी बनाया गया हैं।
तीन पुलिसकर्मियों पर आरोप तय
बता दें कि रायबरेली की घटना के बाद से सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हो रही है। मंगलवार को दिल्ली कोर्ट ने विधायक उसके भाई समेत तत्कालीन माखी थाना प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, दारोगा कामता प्रसाद व कांस्टेबल आमिर समेत दस पर आरोप तय कर दिए हैं। सभी आरोपियों के खिलाफ पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के झूठे मामले में फंसाने का केस चलेगा और सीबीआई (CBI) की चार्जशीट के मुताबिक गवाही होगी।
कोर्ट ने किए आरोप तय
दिल्ली कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में शुक्रवार को विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ पीड़िता से रेप के मामले में आरोप तय कर दिए थे। कोर्ट ने प्रथमदृष्टया पाया था कि सेंगर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए साक्ष्य मौजूद हैं। कोर्ट ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर गैंगरेप और पॉस्को एक्ट 120 बी के तहत आरोप तय किए हैं।
क्या था मामला
3 अप्रैल 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के पिता की विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बेरहमी से पिटाई की थी। विधायक के दबाव में पुलिस ने उसी के पास से तमंचा की बरामदगी दिखाकर उसी पर आर्म्स एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ठीक से इलाज कराए बिना ही उसे जेल भेज दिया। 8 अप्रैल को पिटाई से आई चोटों से पीड़िता के पिता की जेल में हालत बिगड़ी। जेल प्रशासन ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उस वक्त हुई सीबीआई की जांच में पीड़िता के पिता को फर्जी तरीके से जेल भेजे जाने के मामले में माखी थाना प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया और बीट प्रभारी कामता प्रसाद सिंह पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया था।