हिंदू महिला के साथ सफर कर रहे मुस्लिम पुरुष को भीड़ ने रेल से खींचकर पीटा, बताया 'लव जिहाद'
उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक शख्स की भीड़ ने रेल से बाहर खींचकर पिटाई की। इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पिटने वाला शख्स एक मुस्लिम है, जो अपनी जान-पहचान की हिंदू महिला के साथ सफर कर रहा था। वहीं, जिन लोगों ने उसे पीटा, वे एक दक्षिणपंथी संगठन के सदस्य बताए जा रहे हैं। जिनमें से एक पिंटू कौशल नाम के शख्स का वीडियो सामने आया है। पिंटू का आरोप है कि, उक्त शख्स ने महिला को 'लव जिहाद' का शिकार बनाया है, और इसलिए उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया है।

घटना का वीडियो सामने आने पर यह मामला उजागर हुआ, जिसमें दिख रहा है कि भीड़ एक शख्स को रेल से बाहर खींचकर पीटती है। हालांकि, इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं हुई। वहीं, मामले पर आज जीआरपी उज्जैन-पुलिस अधीक्षक निवेदिता गुप्ता का बयान आया है। गुप्ता ने कहा, "हमें यह जानकारी मिली कि जिस पुरुष को पीटा गया था, और जो महिला उसके साथ थी, वे दोनों पारिवारिक मित्र थे। ये उस महिला की मां ने पुष्टि की है। इसलिए हमने दोनों को चले जाने दिया।"
भीड़ द्वारा शख्स की पिटाई पर एसपी ने कहा, "चूंकि उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई, इसलिए हम स्वत: कार्रवाई नहीं कर सकते।" उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति ने भीड़ द्वारा पीटे जाने की कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। बताया जा रहा है कि, वो शख्स मुस्लिम था और जिन्होंने उसे पीटा वे एक दक्षिणपंथी संगठन के सदस्य हैं। उनका आरोप है कि, शख्स द्वारा विवाहित हिंदू महिला को "गुमराह" किया गया, जो शादीशुदा भी है और उसका एक बच्चा भी है। फिर भी वे शादी के लिए उज्जैन से अजमेर जा रहे थे।

खुद को एक दक्षिणपंथी संगठन का सदस्य बताते हुए कौशल ने कहा, "हमें उस (मुस्लिम पुरुष) के बारे में सूचना मिली, तो हम (उसके पास) आ गए और ट्रेन से बाहर निकाल लाए। हमने उसे पुलिसिया कार्रवाई के लिए जीआरपी-उज्जैन को सौंप दिया, क्योंकि यह 'लव जिहाद' का मामला था।," बताया जा रहा है कि, यह घटना 14 जनवरी की है, हालांकि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मंगलवार को सामने आया।
पुलिस के मुताबिक, "उक्त शख्स की ओर से यदि कोई शिकायत मिलती, तो जरूरी कार्रवाई करते।" वहीं, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण गुरटू ने घटना को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने कहा, "यह कृत्य नैतिक रूप से गलत है और कानूनी रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन है। पुलिस को इस तरह की गतिविधियों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि भगवा संगठन या किसी अन्य व्यक्ति को किसी को बेतरतीब ढंग से रोकने और सरेआम परेशान करने का अधिकार नहीं है।''