सियाचिन ग्लेशियर में एक पैर गंवाने वाला फौजी खेती में दिखा रहा कमाल, उगाई सात रंग की मिर्च
राजसमंद। आपने अब तक तो हरी और लाल मिर्च ही देखी और खाई होगी, मगर सात रंगों की मिर्च देखनी है तो सीधे चले आइए राजस्थान के राजसमंद जिले के भीम उपखंड के गांव जस्सा खेड़ा में। यहां पर रिटायर्ड फौजी खेती मोतीसिंह खेती में कमाल दिखा रहा है और अच्छी कमाई कर रहा है।
कभी सियाचिन ग्लेशियर में हिन्दुस्तान की सरदह की रक्षा करते हुए फौजी मोती सिंह ने अपना एक पैर गंवा दिया था, मगर हिम्मत नहीं हारी और रिटायरमेंट के बाद यूं ही बैठने की बजाय खेती करने की ठानी। राजसमंद जिले के रिटायर्ड फौजी मोतीसिंह का खेती में नवाचारों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन्हें 18 बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
भीम क्षेत्र के रहने वाले मोतीसिंह ऑर्गेनिक पॉलीहाउस में कई तरह की सब्जियों को प्रयोग के तौर पर उगाते हुए उन्हें बाजार में बेचकर सालाना तीन से चार लाख रुपए कमा रहे हैं। इस बार इन्होंने एक फीट 2 इंच लम्बी देशी मिर्च तैयार की है। मोती सिंह बताते हैं कि हरी, पिली, लाल, काली, नारंगी, गुलाबी और सफेद रंग की मिर्च के पौधे तैयार कर पैदावार ले चुके हैं, लेकिन बाजार में हरी, पीली एवं लाल के अलावा दूसरे रंग की मिर्च का पंसद नहीं किया, जिससे उन्होंने उसको उगाना बंद कर दिया। यहीं नहीं पपीते के पौधे पर कद्दू, बैंगन पर टामटर की कलम लगाकर पैदावार ले चुके हैं।
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बता दें कि राजसमंद के भीम में स्थित जस्साखेड़ा निवासी मोती सिंह आरटी ऑपरेटर हवलदार पद पर थे। सियाचिन ग्लेश्यिर में तैनातगी के चलते बर्फ से उनका पैर नाकाम हो गया। ऐसे में वह सेवानिवृत लेकर खेती करने गांव आ गए। सवा चार बीघा जमीन में आमदनी कम थी। ऐसे में एमपीयूएटी उदयपुर व जयपुर के कृषि वैज्ञानिकों की मदद से उन्होंने पॉलीहाउस खेती शुरू की।