सूरत से लौटा मजदूर घर में जगह नहीं होने से नीम के पेड़ पर हुआ क्वारंटीन, बनाया खास मचान
उदयपुर। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में 17 मई तक के लिए लॉकडाउन 3 लागू है। इस बीच फंसे मजदूर भी बड़ी संख्या में अपने घरों को पहुंचने शुरू हो गए। राज्य सरकारों की ओर से मजदूरों की घर वापसी के लिए कहीं बसों की व्यवस्था की जा रही तो कहीं स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं।

दूसरे राज्यों से घर लौटे मजदूर कोरोना को गंभीरता से ले रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटीन के नियमों की पालना कर रहे हैं। उदयपुर जिले के भींडर से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित डाबकिया गांव में एक प्रवासी मजदूर ने तो पेड़ पर घर बना लिया है। दरअसल, डाबकिया गांव के भमरू रावत के तीन बेटे बाहर काम करते हैं। पप्पू रावत मुंबई और उसके दो छोटे भाई ईश्वर रावत व जितेन्द्र रावत सूरत से लौटे हैं। ईश्वर व जितेन्द्र 2 मई को घर पर पहुंच गए थे। पप्पू मुम्बई से 4 मई सुबह पहुंचा।
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प्रवासी मजदूरों के घर लौटने की सूचना उदयपुर जिला प्रशासन की ओर से सर्वे के लिए मेडिकल टीम ने उनके घर पहुंची और तीनों भाइयों को क्वारंटीन के निर्देश दिए। समस्या यह थी कि घर में कमरे सिर्फ दो ही थे। जिसमें से एक कमरे में पहले से परिवार के लोग रह रहे थे। पप्पू ने एक कमरे में रहने का निर्णय किया। वहीं, ईश्वर ने घर के आंगन में लगे हुए नीम के पेड़ पर मचान बनाकर रहना वहां क्वांरटीन हो गया। जितेन्द्र ने आंगन के एक कोने में चारपाई लगाकर रह रहा है। इन तीनों को महिलाएं खाना बनाकर अलग-अलग समय पर देती हैं।
ईश्वर ने बताया कि सूरत से लौटने के बाद घर पर आईं सर्वे टीम ने परिवारजनों से दूरी बनाने के लिए बोला था। इस पर घर में जगह नहीं होने पर नीम के पेड़ पर मचान बनाकर रह रहा हूं। सरकार के निर्देशों का पालन करने से ही इस कोरोना वायरस से बचा जा सकता है।