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जब गोला-बारूद से भरी ट्रेन लेकर पाकिस्तान में घुसे उदयपुर के दुर्गाशंकर पालीवाल, कुछ नहीं बिगाड़ पाए पाक के लड़ाकू विमान

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Udaipur News, उदयपुर। भारत पाकिस्तान सीमाओं के बीच तनाव के इस दौर में हम आपको बता रहे हैं कि कैसे भारतीय सैनिक के बुलंद हौसलों के सामने पाकिस्तान एयरक्राफ्ट और बम भी निष्क्रिय नजर आते हैं। उम्र 83 साल, और जज्बा आज भी भारतीय सेना के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ाने का।

India pakistan war 1971 Hero Durga shankar Udaipur Rajasthan

तस्वीर में नजर आ रहे ये व्यक्ति अब भले ही बुजुर्ग हो गए हो, लेकिन अभी भी ये सरकार का हुक्म मिलते ही पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। दुर्गाशंकर पालीवाल नाम के यह वीर चक्र विजेता सन 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के नायक रह चुके हैं।

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Indo Pak war 1971 Hero दुर्गाशंकर पालीवाल

Indo Pak war 1971 Hero दुर्गाशंकर पालीवाल

दरअसल, 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करते हुए करीब तीस किलोमीटर तक कब्जा कर लिया था। उस दौरान भारतीय सेना का जब गोला बारूद खत्म होने लगा तो भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेनपा में जवानों को गोला बारूद उपलब्ध कराने का जिम्मा दुर्गाशंकर पालीवाल को मिला।

25 बोगियों वाली ट्रेन लेकर पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करना था

25 बोगियों वाली ट्रेन लेकर पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करना था

भारतीय रेल की ओर से भारतीय सेना में सेवाए दे रहे दुर्गाशंकर पालीवाल को 25 बोगियों वाली एक ट्रेन लेकर पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करना था। दुर्गाशंकर को बाड़मेर के समीप मुनाबाव रेलवे स्टेशन होते हुए पाकिस्तान के खोखरापार और फिर परचे की बेरी रेलवे स्टेशन तक पहुंचना था। जंग के चलते रेलवे ट्रेक क्षतिग्रस्त चुका था। ऐसे में करीब दस किलोमीटर के ट्रेक को रातों रात बनाया गया और 11 दिसम्बर 1971 को दुर्गाशंकर बारूद से भरी हुई एक ट्रेन लेकर पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर गए।

छह एयरक्राफ्ट ट्रेन पर हमला करने के लिए सामने आ गए

छह एयरक्राफ्ट ट्रेन पर हमला करने के लिए सामने आ गए

पाकिस्तानी सीमा के खोखरापार से आगे दुर्गाशंकर की रेल की रैकी करने के लिए एक पाकिस्तानी विमान नजर आया तो उन्होंने खतरे को भांप लिया और तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान रैकी कर विमान फिर पाकिस्तान की ओर लौट गया, लेकिन कुछ ही पलों में छह एयरक्राफ्ट बम से लोडेड होकर ट्रेन पर हमला करने के लिए सामने आ गए। पाकिस्तान के छह एयरक्राफ्ट द्वारा ट्रेन को घेरे जाने के बाद भी दुर्गाशंकर भयभीत नहीं हुए और उन्होंने ट्रेन को और ज्यादा गति दे दी और सिंध हैदराबाद की ओर लेकर जाने लगे। एयरक्राफ्ट द्वारा ट्रेन पर बम गिराये गये, लेकिन गनीमत रही कि इससे ट्रेन को नुकसान नहीं हुआ।

एयरक्राफ्ट में भी बम खत्म हो गये तो...

एयरक्राफ्ट में भी बम खत्म हो गये तो...

इस दौरान दुर्गाशंकर ने ट्रेन में ब्लास्ट की संभावना को देखते हुए सिंध हैदराबाद को ही उड़ाने की योजना बना डाली। हालांकि एयरक्राफ्ट हमले में ट्रेन को नुकसान नहीं हुआ और जब एयरक्राफ्ट में भी बम खत्म हो गये तो वे रिलोड होने के लिए फिर सिंध हैदराबाद की ओर कूच कर गये। इस दौरान फुर्ती दिखाते हुए दुर्गाशंकर ने फिर रिवर्स में अपनी ट्रेन करीब पच्चीस किलोमीटर तक ले आए और परचे की बेरी में अपनी बटालियन को इसकी सुचना दी। बटालियन ने भी महज पन्द्रह मिनट में पुरी ट्रेन का असला खाली कर दिया और फिर एक बार अपनी एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल रिलोड कर दी। उसके बाद पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट फिर नहीं आ पाये।

एक हजार किलो का बम रेल पटरियों पर गिरा दिया

एक हजार किलो का बम रेल पटरियों पर गिरा दिया

वीर चक्र विजेता दुर्गाशंकर पालीवाल बताते हैं कि दस सिख एलआई बटालियन को सफलता पूर्वक गोला बारूद पहचाने के बाद भी मुसीबतें कम हुई नहीं हुई और ना ही मेरा हौसला डगमगाया। जब परचे की बेरी से फिर रेल को रिवर्स भारतीय सीमा की ओर लाया जा रहा था, उस दौरान खोपरापार के समीप करीब भारतीय सीमा से पांच किलोमीटर पहले फिर एक पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट ने करीब एक हजार किलो का बम रेल पटरियों पर गिरा दिया।

दुर्गाशंकर के हाथ बुरी तरह से झुलस गए

बम की चिंगारियों से दुर्गाशंकर के हाथ बुरी तरह से झुलस गए और रेल पटरियां भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। कुछ दूर तो कोहनी के सहारे ट्रेन चलाकर दुर्गाशंकर लेकर आए, लेकिन फिर आगे की रेल पटरियां टूटी हुई मिलने के कारण वहीं रुकना पड़ा। ट्रेन के इंजन को डैड कर दुर्गाशंकर ने अपनी राईफल ली और पैदल ही भारतीय सीमा की ओर रवाना हो गये। इस बीच दुर्गाशंकर को भारत का एक हेलीकाप्टर रैकी करता हुआ नजर आया, जिसे लैंण्ड कराया गया फिर दुर्गाशंकर उसमें से भारतीय सीमा तक पहुंचे। कई जगह इलाज के बाद दुर्गाशंकर से मिलने इंदिरा गांधी भी मिलने पहुंचीं और फिर 30 अक्टूबर 1972 को राष्ट्रपति वीवी गिरी ने वीरचक्र से सम्मानित किया।

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English summary
India pakistan war 1971 Hero Durga shankar Udaipur Rajasthan
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