राजस्थान में बच्चों की मौत: उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल में गई 142 बच्चों की जान
उदयपुर। राजस्थान के कोटा जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत का मामला देशभर की सुर्खियों में है। महज 48 घंटे में 10 बच्चों की जान चले जाने से खबरों में आए कोटा में अकेले दिसम्बर 2019 में ही सौ से ज्यादा बच्चों के सांसों की डोर टूट गई।
रोजाना चार पांच बच्चों की मौत
अब राजस्थान के उदयपुर में भी बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। यहां मरने वाले बच्चों की संख्या कोटा से भी ज्यादा है। उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल में 142 बच्चों की मौत अकेले दिसम्बर माह में हुई है। हालांकि अस्पताल प्रशासन चिकित्सकों या व्यवस्थागत खामियों को जिम्मेदार ठहराने की बजाय इन मौतों को सामान्य बताया है। उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल (एमबी) के आंकड़ों से पता चला है कि यहां पर रोजाना 4 से 5 बच्चों की मौत हो गई है।
क्या कहते हैं अस्पताल अधीक्षक
एमबी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉक्टर आरएल सुमन का कहना है कि महाराणा भूपाल अस्पताल उदयपुर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां पर भर्ती होने अधिकांश बच्चे अन्य अस्पतालों से रैफर होकर आते हैं। जब तक उन्हें यहां पर उचित चिकित्सा मुहैया कराई जाती है तब तक वह दम तोड़ देते हैं। अस्पताल में हुई इन मौतों के पीछे कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि लोगों में जागरूकता की कमी और सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम का नहीं होना मुख्य है।
ये जिले आते हैं उदयपुर संभाग में
बता दें कि उदयपुर संभाग में उदयपुर, राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ जिले आते हैं। संभाग के छहों जिलों का अधिकांश हिस्सा आदिवासी क्षेत्र है। यहां शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। जागरूकता की कमी के चलते उदयपुर संभाग में बड़ी संख्या में प्रसव घरों ही करवाए जाते हैं। ऐसे में नवजात बच्चों में संक्रमण फैलता है। शुरुआत में उन बच्चों का इलाज स्थानीय और जिला अस्पतालों में होता है। स्थिति बिगड़ने पर वे उदयपुर के एमबी अस्पताल में रैफर होकर पहुंचते हैं।
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