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गरीबी और असमानता में भारत अगुआ बना खड़ा हैः रिपोर्ट

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Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 08 दिसंबर। भारत में सिर्फ दस प्रतिशत लोगों के पास देश की आधे से भी ज्यादा (57 प्रतिशत) संपत्ति है जबकि देश की आधी आबादी सिर्फ 13 प्रतिशत संपत्ति पर गुजारा करने को मजबूर है. 'वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2022' में भारत में गैरबराबरी और अमीर-गरीब की बढ़ती खाई की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है.

इस रिपोर्ट ने चेताया है कि 2020 में दुनिया की कुल आय घटी है जिसमें लगभग आधी गिरावट अमीर देशों में आई है जबकि बाकी कम आय वाले और नए उभर रहे देशों में दर्ज हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक यह गिरावट दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया और खासतौर पर भारत में दर्ज की गई है.

वर्ल्ड इनइक्विटी लैब के सह-निदेशक और अर्थशास्त्री लूकस चांसल के नेतृत्व में यह रिपोर्ट अर्थशास्त्रियों थॉमस पिकेटी, इमानुएल साएज और गाब्रिएल जुकमान ने तैयार की है. रिपोर्ट कहती है, "जब भारत को विश्लेषण से हटा दिया गया ऐसा सामने आया कि दुनिया के निचले आधे हिस्से की आय 2020 में बढ़ गई."

भारत की औसत आय

रिपोर्ट ने भारत की स्थिति पर कहा है, "ऊपर के दस फीसदी लोगों के पास 57 प्रतिशत आय है. सबसे ऊपरी एक फीसदी लोगों के पास देश की कुल आय का एक प्रतिशत है. और निचले 50 प्रतिशत लोगों का हिस्सा गिरकर 13 प्रतिशत पर चला गया है."

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत का मध्य वर्ग तुलनात्मक रूप से ज्यादा गरीब है. उसके पास देश की कुल आय का औसत सात लाख 23 हजार 930 रुपये यानी लगभग 29.5 प्रतिशत है. उधर सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की औसत आय तीन करोड़ 24 लाख 49 हजार 360 रुपये है. ऊपरी दस फीसदी लोगों की औसत आय 63 लाख 54 हजार 70 रुपये है.

2021 में भारत की वयस्क आबादी की औसत आय दो लाख चार हजार 200 रुपये आंकी गई. निचले आधे हिस्से की औसत आय 53 हजार 610 रुपये आंकी गई. एक औसत भारतीय घर की सालाना कमाई नौ लाख 83 हजार 10 रुपये रही जबकि निचले तबके के आधे से ज्यादा घरों के पास संपत्ति लगभग ना के बराबर (66 हजार 280 रुपये) है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से सबसे अमीर दस फीसदी और सबसे गरीब 50 प्रतिशत लोगों की आय में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन रिपोर्ट ने इस बात को विशेष तौर पर कहा है कि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए असमानता डेटा की गुणवत्ता बहुत खराब है.

नीति आयोग ने हाल ही में मल्टी-डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (MPI) जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हर चार में से एक भारतीय बहुआयामी तौर पर गरीब है. ऐसे गरीबों की संख्या बिहार में सबसे ज्यादा (51.91 प्रतिशत) है. दूसरे नंबर पर झारखंड (42.16 प्रतिशत) है और तीसरे पर उत्तर प्रदेश जहां कि 37.79 प्रतिशत आबादी गरीब है.

दुनिया की स्थिति

असमानता रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में असमानता आज उसी स्तर पर पहुंच चुकी है, जो 20वीं सदी की शुरुआत में तब हुआ करती थी जब साम्राज्यवाद अपने चरम पर था. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया की आधी गरीब आबादी के पास लगभग कुछ भी नहीं है. दुनिया की कुल आय में इस तबके का हिस्सा मात्र दो फीसदी है जबकि दुनिया के दस प्रतिशत सबसे अमीर लोग 76 प्रतिशत धन पर काबिज हैं.

मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका को असमानता के मामले में सबसे ऊपर रखा गया है जबकि यूरोप में असमानता सबसे कम है. यूरोप के दस फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास 36 प्रतिशत आय है जबकि पूर्वी एशिया के सबसे अमीर दस फीसदी लोगों के पास 43 प्रतिशत. दक्षिण अमेरिका में यह आंकड़ा 55 प्रतिशत है.

रिपोर्ट कहती है कि लोग अमीर हो रहे हैं लेकिन देश गरीब होते जा रहे हैं. इसके मुताबिक, "सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति जीरो के करीब और अमीर देशों में तो नकारात्मक हो गई है. यानी पूरा धन निजी हाथों में चला गया है. कोविड संकट के दौरान यह चलन बढ़ा है क्योंकि सरकारों ने जीडीपी का 10-20 प्रतिशत तक उधार लिया."

रिपोर्टः विवेक कुमार

Source: DW

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English summary
top 10 hold 57 of national income inequality report
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