बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता में स्थानीय पत्रकारों का योगदान शीर्षक के अंतर्गत हुआ शोध अध्ययन
चित्रकूट। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता और जनसंचार माध्यमों को लेकर हुए एक शोध में बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता के यथार्थ का रहस्योद्घाटन हुआ है। यह काम बुंदेलखंड की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पत्रकारिता से जुड़े नरेंद्र कुमार अरजरिया, टीकमगढ़, मध्यप्रदेश ने शोधप्रविधि के मापदंडों और गुणवत्ता के मानकों को अपनाते हुए किया है।
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेश चंद्र गौतम ने पत्रकारिता और जनसंचार क्षेत्र के लब्धप्रतिष्ठ विद्द्वानों के मूल्यांकन, उनके समक्ष आकर्षक प्रस्तुति और सफल मौखकी परीक्षा-परिणाम के बाद पत्रकार नरेंद्र कुमार अरजरिया को पीएचडी परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र प्रदान किया है। मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति लालजी टंडन ग्रामोदय विश्वविद्यालय के आगमी दीक्षांत समारोह में डॉ. नरेन्द्र कुमार अरजरिया को सार्वजनिक रूप से पीएचडी की उपाधि पूरे गौरव के साथ प्रदान करेंगे।
इस समारोह में डॉ. अरजरिया की बुजुर्ग मां उपस्थित रहकर उनके स्वर्गीय पिता का प्रतिनिधित्व भी करेंगी।बता दें कि डॉ. नरेंद्र अरजरिया ने बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता और कार्यरत पत्रकारों पर अनुसंधान कार्य अपने स्वर्गीय पिताश्री की भावना और उनके आदेश पर प्रख्यात जनसंचार वैज्ञानिक एवं प्राध्यापक डॉ. वीरेंद्र कुमार व्यास के सफल निर्देशन में किया है।
पत्रकारिता के अंतरराष्ट्रीय विद्वान डॉ. अर्जुन तिवारी ने डॉ. अरजरिया के शोध कार्य की सराहना करते हुए सुझाव दिया है कि इसका प्रकाशन किया जाना चाहिए। डॉ. अरजरिया ने बताया कि बुंदेलखंड की पत्रकारिता बड़ा कठिन और श्रमसाध्य कार्य है। आंचलिक पत्रकार शोषित और सामंती ताकतों से लगभग प्रत्येक दिन संघर्ष करता है। डॉ. अरजरिया के अनुसार, बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता पर यह पहला शोध हैं, जिसमे मध्य प्रदेश के 06 जिले और उत्तर प्रदेश के 7 जिले शामिल थे।