Kerala Election 2021: बीजेपी को मिला दो पूर्व हाईकोर्ट जजों का साथ, पार्टी में हुए शामिल
तिरुवनंतपुरम। केरल में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव में लग गई हैं। दक्षिण के इस राज्य में वैसे तो कई दशक से मुख्य मुकाबला कांग्रेस और लेफ्ट के बीच होता रहा है लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी यहां पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरा जोर लगा रही है। यही वजह है कि पार्टी में राजनीति से लेकर प्रशासन तक के चेहरों को शामिल करने का सिलसिला जारी है। हाल ही में मेट्रोमैन के नाम से मशहूर श्रीधरन के बाद अब पार्टी में हाईकोर्ट के दो पूर्व जजों की एंट्री हुई है।
केरल हाईकोर्ट के दो पूर्व जज पीएन रविंद्रन और वी चितम्बरेश ने रविवार को बीजेपी की विजय यात्रा कार्यक्रम के दौरान त्रिपुनितारा में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। जस्टिस रविंद्र 2007 से 2018 तक केरल हाईकोर्ट के जज रहे हैं। जस्टिस चिंतम्बरेश को 2011 में केरल हाईकोर्ट का जज बनाया गया था और वे 2018 में हाईकोर्ट से रिटायर हुए थे।
केरल
की
राजनीति
में
जज
इसके
पहले
पिछले
महीने
ही
केरल
हाईकोर्ट
के
एक
और
पूर्व
जज
बी
कमाल
पाशा
ने
राज्य
की
राजनीति
में
जाने
की
इच्छा
जताई
थी।
उन्होंने
कहा
था
कि
अगर
कांग्रेस
नीत
यूनाइटेड
डेमोक्रेटिक
फ्रंट
(यूडीएफ)
उन्हें
एर्नाकुलम
सीट
का
प्रस्ताव
देता
है
तो
वह
चुनाव
लड़ने
इच्छा
रखते
हैं।
पाशा
2013
से
2018
तक
केरल
हाईकोर्ट
में
जज
रहे
थे।
पाशा के रिटायरमेंट स्पीच 2018 में मीडिया की सुर्खियों में रही थी जिसमें उन्होंने हाल ही में कॉलेजियम की सिफारिशों की पृष्ठभूमि में न्यायाधीशों की नियुक्तियों के खिलाफ और रिटायरमेंट के बाद की सेवाओं को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि हाल की कुछ घटनाओं से केरल हाईकोर्ट की गरिमा में कमी आई थी।
बयान
के
चलते
रहे
सुर्खियों
में
विवादित
बयान
के
मामले
में
भाजपा
में
शामिल
होने
वाले
पी
चितम्बरेश
का
नाम
भी
शामिल
है।
रिटायरमेंट
के
पहले
तमिल
ग्लोबल
मीट
में
उनके
बयान
ने
काफी
विवाद
किया
था
जिसमें
उन्होंने
ब्राह्मण
समुदाय
से
जातिगत
आरक्षण
की
जगह
आर्थिक
आधार
पर
आरक्षण
की
मांग
करने
को
कहा
था।
उन्होंने
कहा
था
कि
ब्राह्मण
समुदाय
अपने
मुद्दों
को
जोरदार
ढंग
से
नहीं
उठाता
है।
इसके
साथ
ही
उन्होंने
ये
भी
कहा
था
कि
ब्राह्मण
को
शासन
में
उच्च
स्थान
पर
होना
चाहिए।
हालांकि
उन्होंने
कहा
था
कि
वह
एक
संवैधानिक
पद
पर
बैठे
हैं
इसलिए
वह
आरक्षण
पर
कोई
राय
नहीं
दे
रहे
हैं।
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