सुशांत केस: क्या मूवी माफिया को बचाने के लिए एक महिला को कुर्बान करने की हो रही है साजिश
Sushant Singh Rajput Case: Subramanian Swamy said The Mumbai Movie Mafia has decided to dump a female actress so that potentially a murder case becomes a quarrel case for ₹15 crores.
मुंबई। क्या मुम्बई की फिल्मी दुनिया का पॉलिटिकल कनेक्शन निष्पक्ष जांच में आड़े आ रहा है ? देश के प्रकांड विधिवेत्ता और अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम स्वामी का तो कहना है कि मुम्बई के मूवी माफिया ने एक महिला को ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया है ताकि एक मर्डर केस 15 करोड़ के झगड़े में बदल जाए। मूवी माफिया से ध्यान हटाने के लिए एक महिला को कुर्बान करना आसान है। ये मूवी माफिया क्या है ? क्या मूवी माफिया ने खुद को बचाने के लिए अपने राजनीतिक ढाल को आगे कर दिया है ? ये सच है कि मुम्बई पुलिस ने बड़े-बड़े केस हल किये हैं। उसकी काबिलियत पर किसी को शक नहीं। लेकिन सवाल पूछा जा रहा है कि अगर मुम्बई पुलिस को राजनीतिक दवाब में काम करना पड़ेगा तो वह क्या करेगी?।इसलिए इस मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग अब और तेज हो गयी है और यह एक बड़ा राजनीतिक मुददा बन गया है।
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सीबीआइ जांच से इंकार क्यों ?
महाराष्ट्र के भाजपा विधायक राम कदम ने गुरुवार को शिव सेना सांसद संजय राउत को सवालों के कठघरे में खड़ा कर किया। राम कदम ने कहा कि सुशांत की मौत के बाद मुम्बई पुलिस फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही थी उस समय संजय राउत ने कहा था कि इतनी पूछताछ की जरूरत क्या है, ये तो साफ खुदकुशी का मामला है। राम कदम का सवाल है कि संजय राउत ने ये बात किस अधिकार और किस जानकारी पर कही थी ? वे कैसे तय कर सकते हैं कि ये मामला खुदकुशी का है य़ा नहीं । अब महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सुशांत मामले की सीबीआइ जांच से इंकार कर दिया है। अनिल देशमुख के इस फैसले पर भी सवाल उठाया जा रहा है। सुशांत के फैंस कहना है कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले को इसलिए सीबीआइ में नहीं देना चाहती क्यों कि इसमें कई फिल्मी शख्सियतों के फंसने का अंदेशा है। जब सुशांत के परिजनों को मुम्बई पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है तो कोई निष्पक्ष एजेंसी ही इस मामले की जांच कर सकती है। सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने आरोप लगाया है कि मुम्बई पुलिस रिया चक्रवर्ती की मदद कर रही है। जिस रिया ने इस मामले की सीबीआइ जांच के लिए गृहमंत्री अमित शाह को ट्वीट किया था अब वह बचाव पर क्यों उतर गयी है ?
महाराष्ट्र राजनीति का फिल्मी कनेक्शन
महाराष्ट्र में फिल्म उद्योग और राजनीति के बीच चोली-दामन का रिश्ता रहा है। शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार के पिता अनंतराव पवार फिल्म निर्माण से जुड़े थे। वे वी. शांताराम के साथ कम कर चुके थे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भाभी स्मिता ठाकरे फिल्म उद्योग की प्रमुख प्रोड्यूसर हैं। जब बाला साहेब ठाकरे जिंदा थे तब फिल्मी दुनिया के बड़े से बड़े अभिनेता उनके दरबार में सलाम ठोकते थे। शिवशेना के सांसद और पत्रकार संजय राउत ने फिल्म ‘ठाकरे' का निर्माण किया था जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बाला साहेब ठाकरे की भूमिका की थी। फिल्म एक्ट्रेस आयशा टाकिया से ससुर अबु आजमी की फिल्मी दुनिया में ऐसी दखल रही है उन्होंने शाहरुख खान और सलमान खान जैसे सुपर स्टार का झगड़ा खत्म कराने की पंचैती की थी। अबु आजमी समाजवादी पार्टी के बड़े नेता हैं। मुम्बई में अंडर वर्ल्ड की शुरुआत करने वाले हाजी मस्तान ने फिल्म और राजनीति में अपना दबदबा बनाया था। प्रसिद्ध अभिनेता रितेश देशमुख के दो भाई अमित देशमुख और धीरज देशमुख महाराष्ट्र में अभी कांग्रेस के विधायक हैं। उनके पिता विलासराव देशमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। इन फिल्मी सितारों या नेताओं का जिक्र सिर्फ यह समझने के लिए है कि महाराष्ट्र की फिल्मी दुनिया कैसे राजनीति से प्रभावित है। इनका किसी विवाद से कोई संबंध नहीं। लेकिन राजनीति और सिनेमा के गठजोड़ से मुम्बई में एक ताकतवर वर्ग जरूर पैदा हुआ है। नेता और अभिनेता रिश्तों की आड़ में क्या कर रहे हैं, ये जांच का विषय है। कई नेताओं ने फिल्मों में पैसा निवेश कर रखा है। इनका फिल्मों से एक अलग हित जुड़ा है।
मूवी माफिया का मतलब क्या ?
फिल्मी दुनिया का वह गैंग या सिंडिकेट जो किसी फिल्म के निर्माण से जुड़ी सभी चीजें तय करने की ताकत रखता है। मसलन यह गैंग तय करता है कि अमुक फिल्म में कौन हीरो होगा, कौन हीरोइन होगी, कौन म्यूजिक डायरेक्टर होगा और कौन सिंगर होगा। इस गैंग के इशारे पर किसी को फिल्म से निकाल दिया जाता है तो किसी की झोली में फिल्म डाल दी जाती है। अगर किसी कलाकर ने गैंग चलाने वाले के दरबार में सलामी नहीं ठोकी या खुद के दम पर हैसियत बनाने की कोशिश की तो उसके लिए फिल्मों में काम पाना मुश्किल हो जाता है। फिल्म रंगून 2017 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में कंगना रनौत, शाहिद कपूर, सैफ अली खान ने भूमिका निभायी थी। फिल्म के रिलीज होने के बाद करण जौहर ने कंगना और सैफ अली खान को अपने टीवी शो ‘कॉफी विद करण' में बुलाया था। इस लाइव शो के दौरान कंगना ने सार्वजनिक रूप से करण जौहर के लिए मूवी माफिया शब्द का प्रयोग किया था। उस शो में कंगना ने एक सवाल के जवाब में कहा था, अगर मैंने कभी अपनी बायोपिक बनायी तो करण जौहर में आपको मूवी माफिया का रोल दूंगी। आपको ऐसे किरदार में देखना चाहूंगी जो बॉलीवुड का बड़ा नाम है लेकिन वह आउटसाइडर्स को पसंद नहीं करता। कंगना के इस बयान पर तब बहुत हंगामा हुआ था। कंगना आज भी अपना मोर्चा खोले हुए हैं। सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद फिल्मी दुनिया में भाई-भताजीवाद पर गंभीर बहस चल रही है। इस बहस में कई बड़े फिल्मी सितारों के नाम लिये जा रहे हैं जिनके इशारे पर किसी कलाकार को फिल्मों से निकाल दिया जाता है। अगर सीबीआइ जांच होती है तो उसकी आंच इन सितारों तक भी पहुंच सकती है।