कार हादसे में हुई थी पिता की मौत, उनकी याद में 170 बेसहारा मां-बाप को खाना खिलाते हैं ये 2 भाई
सूरत। गुजरात में सूरत के दो भाइयों के पिता की कार हादसे में मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद दोनों सन्न रह गए। कुछ दिन बाद उन्होंने तय किया कि हम अपने पिता की खातिर तो कुछ नहीं कर सके, लेकिन अन्य मां-बाप के लिए कुछ जरूर करेंगे। इसी सिलसिले में दोनों भाईयों ने 2016 से असहाय बुजुर्गों की सेवा करनी शुरू कर दी। उन्होंने बुजुर्गों को रोज न सिर्फ खाना दिया, बल्कि उनका इलाज भी कराने लगे। शुरुआत में उन्होंने 40 बुजुर्गों को खाना पहुंचाया। बाद में संख्या बढ़ाते चले गए। अब पिताजी की याद में वे करीब 170 बेसहारा मां-बाप को खाना खिलाते हैं। इनमें से ज्यादातर बुजुर्ग ऐसे हैं जो किसी कारणवश अपने बच्चों के साथ नहीं रहते या उनके बच्चों ने उन्हें छोड़ दिया है।
बुजुर्गों की केयर करने वाले सूरत के ये दो भाई हैं गौरांग और हिमांशु सुखाड़िया। वह अलथाण क्षेत्र में रहते हैं। मुख्य तौर पर वे खानपान की दुकान चलाते हैं और प्रॉर्पटी इन्वेस्टमेंट का भी काम करते हैं। गौरांग कहते हैं कि जब मेरे पिता के साथ हादसा हुआ था, तब कार में मैं भी था। लेकिन मैं बच गया था। तब से मेरे द्वारा बेसहारा बुजुर्गों को खाना खिलाने का सिलसिला चला आ रहा है। हमने खर्च होने वाले पैसे के लिए किसी से मदद नहीं मांगी। हां, लोग हमारे बारे में सुनकर कभी-कभी खुद ही हेल्प कर देते हैं।
बुजुर्गों के लिए कितना खर्च हो जाता होगा, इसके जवाब में उन्होंने बताया कि महीने में लगभग 1 लाख 70 हजार रुपए खर्च हो जाता हैं। बकौल गौरांग, हम टिफिन पहुंचाने के अलावा बुजुर्गों को होटल में भी खाना खिलाने ले जाते हैं। वह कहते हैं कि पिता जी के साथ हादसा 2008 में हुआ था। जब से हमने बेसहारा बुजुर्गों को खाना खिलाना शुरू किया है, हमने किसी दिन अवकाश नहीं रखा क्योंकि खाना तो इंसान हर दिन खाता है। हम इस पूरी व्यवस्था की निगरानी भी खुद ही करते हैं।