मां के गहने गिरवी रखकर पहुंचे वर्ल्ड चैम्पियनशिप, 52 किलो वर्ग में जीता देश के लिए गोल्ड
Gujarat News, सूरत। गुजरात में सूरत के रहने वाले भारोत्तोलक दीपक मोर ने इंटरनेशनल स्ट्रेंथ-लिफ्टिंग वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता है। यह प्रतियोगिता मध्य प्रदेश में 17 से 20 जनवरी के बीच आयोजित हुई, जिसमें उन्हें यह गोल्ड 52 किलो भार वर्ग में मिला। बता दें कि, दीपक वो भारोत्तोलक हैं जो अपनी मां के गहने गिरवी रखकर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उतरे थे, उनके पास इतने पैसे नहीं हैं। मगर, जैसे ही जीते तो मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं।
मांग
के
गहने
गिरवी
रख
कम्पटीशन
में
उतरे
दीपक
कहते
हैं,
मेरे
पास
भारोत्तोलन
(वेटलिफ्टिंग)
कम्पटीशन
में
भाग
लेने
के
लिए
कोई
पैसा
नहीं
था।
मैंने
अपनी
माँ
के
गहने
गिरवी
रखकर
कम्पटीशन
में
उतरा।
मुझे
नहीं
पता
था
कि
मैं
जीतूंगा
या
हारुंगा,
लेकिन
मुझे
याद
है
कि
मां
के
गहने
वापस
लाने
के
लिए
मुझे
हर
हाल
में
कम्पटीशन
जीतना
है।'
मदद
करने
वाला
कोई
न
था
हालांकि,
वह
कम्पटीशन
में
हिस्सा
लेने
मध्य
प्रदेश
आए
और
स्ट्रेंथ-लिफ्टिंग
वर्ल्ड
चैम्पियनशिप
जीत
ली।
यहां
तक
पहुंचना
उनके
लिए
बहुत
संघर्षपूण
रहा।
दीपक
का
कहना
है
कि
52
किलोग्राम
वर्ग
में
स्वर्ण
पदक
जीतने
की
ख्वाहिश
बहुतों
की
थी,
यह
प्रतियोगिता
17
से
20
जनवरी
तक
हुई।
मुझे
कई
लोगों
ने
प्रतियोगिता
से
पहले
मदद
करने
के
लिए
कहा
था,
लेकिन
जब
समय
आया,
वे
लोग
बाद
में
खिसक
गए।
ऐसे
में
मां
ही
सहारा
थीं।
जिन्हें
गहने
गिरवी
रखने
पड़े।
प्रतियोगिता
जीतने
के
बाद
अब
माँ
के
गहने
वापस
लेगें।
इतने
सारे
मेडल
जीत
चुके
दीपक
अब
तक
3
बार
मिस्टर
गुजरात,
2
बार
मिस्टर
सूरत
और
2
बार
मिस्टर
साउथ
गुजरात
के
लिए
प्रदर्शन
कर
चुके
हैं।
इतनी
सारी
प्रतियोगिता
में
हिस्सा
लेने
से
पूर्व
7
साल
तक
दीपक
ने
एक
कंपनी
में
क्लर्क
के
रूप
में
काम
किया
था।
गुजराती सिंगर किंजल दवे अब कहीं भी गा सकेंगी अपना फेमस "चार-चार बगडी वाली गाडी.." सॉन्ग, रोक हटी
7
साल
के
थे
तब
पिता
चल
बसे
वह
बताते
हैं
कि
जब
मैं
7
साल
का
था
तब,
पिताजी
का
देहांत
हो
गया
था।
माँ
ने
ही
मेहनत-मजदूरी
करके
पाला-पोषा।
माँ
ने
लोगों
के
घरों
में
काम
किया।
छोटा
भाई
हैंडीकेप
था।
बकौल
दीपक,
क्लर्क
की
नौकरी
करते
समय
उन्हें
लगा
की
इस
नौकरी
में
मेरा
कोई
भविष्य
नहीं
है।
जब
मैंने
जिमिंग
के
बारे
में
कई
लोगों
से
चर्चा
की
तो
उन्होंने
कहा
कि
तुम्हें
खाने-पीने
का
लाले
हैं
तो
ऐसे
में
ये
सब
कैसे
करोगे।
फिर
भी
मैं
अपने
काम
में
जुट
गया
और
परिणाम
आज
आप
सबके
सामने
है।
आज
मुझे
राहत
मिली
है
कि
मैंने
देश
के
लिए
गोल्ड
मेडल
जीता
है।
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