सूरत अग्निकांड: 22 बच्चों की मौत के बाद से फरार बिल्डर दिनेश कांजिया गिरफ्तार, 9 माह छिपा रहा
सूरत. गुजरात में सूरत के सरथाणा स्थित तक्षशिला आर्केड में भीषण अग्निकांड में 22 बच्चों की माैत होने के बाद से ही फरार आरोपी बिल्डर गिरफ्त में आ चुका है। बिल्डर दिनेश कांजी वेकरिया को सूरत क्राइम ब्रांच ने सलाबतपुरा से गिरफ्तार किया है। वह पिछले 8 महीने से फरार था और पुलिस को पता ही नहीं था कि वह कहां छिपा है। मालूम हो कि, तक्षशिला आर्केड बिल्डिंग में चल रहे कोचिंग सेंटर में अग्निकांड की घटना 24 मई 2019 को हुई थी।
मई 2019 से थी पुलिस को कांजी की तलाश
जानकारी के अनुसार, दिनेश कांजी वेकरिया को पकड़ने के लिए सलाबतपुरा इलाके में मंगलवार की शाम को धरपकड़ हुई। क्राइम ब्रांच को उसके बारे में कोई गुप्त सूचना मिली थी कि सलाबतपुरा स्थित आंजणा फार्म में छिपा हुआ है। जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने उसे मंगलवार की शाम 5.30 बजे दबोच लिया गया। हालांकि, उससे जुड़े खुलासे अभी पुलिस ने नहीं किए हैं। माना जा रहा है कि, अभी पूछताछ शुरू हुई है।
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तक्षशिला अग्निकांड में 19 बच्चे घायल भी हुए थे
तक्षशिला अग्निकांड में 18 से 19 साल के बच्चे ज्यादा शिकार हुए। मरने वाले 22 स्टूडेंट्स में ज्यादातर लड़कियां थीं। वहीं, करीब 19 बच्चे घायल भी हो गए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस मामले में पुलिस अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। साथ ही कोर्ट में 4275 पन्नों की चार्जशीट पेश की गई थी। उस चार्जशीट में 251 लोगों को गवाह बनाया गया।
सूरत अग्निकांड: जहां झुलसकर मर गए 22 स्टूडेंट्स, उस पूरी बिल्डिंग का बिजली कनेक्शन ही अवैध था
अब तक गिरफ्त में आए ये आरोपी
पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपियों में क्लास संचालक भार्गव बुटानी, हरसुल वेकरिया, दिनेश वेकरिया, जिग्नेश सावजी पाघडार, सावजी पाघडार, रविंद्र कहार, मनपा के कार्यकारी इंजीनियर पीडी मुंशी, जयेश सोलंकी, डिप्टी फायर ऑॅफिसर एसके आचार्य, कीर्ति मोढ़, डिप्टी इंजीनियर वीनू परमार, डीजीवीसीएल के डिप्टी इंजीनियर दीपक नायक, मनपा के डिप्टी इंजीनियर हिमांशु गज्जर एवं अतुल गोरसावाला शामिल हैं।
पूरी बिल्डिंग का बिजली कनेक्शन ही अवैध था
तक्षशिला बिल्डिंग के अग्निकांड के बाद जांच में यह खुलासा कि उस पूरी बिल्डिंग का पावर कनेक्शन गैरकानूनी था। जिसके बाद डीजीवीसीएल के नायब इंजीनियर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के अनुसार, कई लोगों गैरजिम्मेदाराना हरकतों के कारण यह दुर्घटना हुई। कॉर्पोरेशन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पी डी मुन्शी पूरे इलाके के इन्चार्ज थे और बिल्डिंग की ऊपर की मंजिल को रेग्युलराइज करने की जिम्मेदारी उनकी थी, लेकिन उन्होंने बिल्डिंग पर गए बिना ही मंजूरी दे दी थी। इस काम में जयेश सोलंकी ने उसका साथ दिया था। साथ ही पूरे बिल्डिंग का पावर कनेक्शन गैरकानूनी होने के पीछे डीजीवीसीएल के नायब इंजीनियर दीपक नायक जिम्मेदार थे। बिल्डिंग के पावर कनेक्शन की फाइल के मुताबिक, यहां कोई एसी नहीं थे। लेकिन हकीकत में यहां 25 से ज्यादा एरकंडिशनर लगाए गए थे। आग लगी तो बुरी तरह भड़क उठी।