भारत के इस शहर में घर छोड़कर प्रेमी संग रोज भाग रहीं 2 किशोरियां, पुलिस की मुहिम- भविष्य खराब न करो
सूरत। बदलते दौर में बड़े शहरों के लड़के-लड़कियां अपनी पर्सनल लाइफ को इतनी जल्दी अपने तरीके से जीने लगते हैं कि उन्हें अपने सही-गलत फैसले का ज्ञान नहीं होता। सोशल मीडिया अथवा इंटरनेट के कारण लड़के-लड़कियों में प्रेम-प्रसंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। नाबालिग भी जल्द शादी कर हमसफर के साथ जीने के ख्वाब देखने लगते हैं। गुजरात के सूरत शहर की ही बात करें, तो यहां हर रोज औसतन 2 लड़कियों अपने प्रेमियों के साथ भाग जाती हैं। उन्हें कम उम्र में ही प्यार और लाइफ पार्टनर का साथ भाने लगा है। दूसरी ओर, उनके माता-पिता रेप की वारदातों के कारण भी चिंतित रहते हैं। ऐसे में पुलिस 10 दिसंबर से एक मुहिम शुरू करेगी।
पुलिस गुजरात के इस शहर में 10 दिसंबर से छेड़ रही मुहिम
इस
मुहिम
के
तहत
सूरत
की
डीसीपी
विधि
चाैधरी
अपने
सहकर्मियों
के
साथ
स्कूलों
में
जाकर
लड़कियों
को
समझाएंगी।
उनसे
कहेंगी
कि
यह
कानून
के
खिलाफ
है।
पुलिसकर्मी
लड़कियों
को
नसीहत
दे
रहे
हैं
कि,
ऐसा
करके
अपना
भविष्य
भी
खराब
न
करें,
घर
वालों
का
खयाल
करें
और
शादी
की
सही
उम्र
तक
इंतजार
करें।'
पुलिस
द्वारा
लड़कियों
को
कच्ची
उम्र
में
ही
शादी
कर
लेने
के
दुष्परिणामों
के
बारे
में
भी
बताया
जाएगा।
स्कूल
संगठन
का
कहना
है
कि
इस
मुहिम
में
उनका
भी
पूरा
सहयोग
मिलेगा।
सूरत में ऐसे हर महीने 50 से ज्यादा मामले दर्ज हो रहे
एक पुलिसिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत शहर में आए दिन 2 नाबालिग लड़कियां अपने घर छोड़कर प्रेमी के साथ भाग रही हैं। जिनकी उम्र औसतन 13 से 16 वर्ष की होती है। छात्राओं के भागने के हर महीने 50 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इससे पहले भी जुलाई में गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने विधानसभा में चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया था कि गुजरात में पिछले एक साल में 2307 बच्चों के लापता होने के केस सामने आए हैं। सरकार ने दावा किया कि पुलिस की सतर्कता की वजह से 1804 बच्चे वापस मिल गए। जबकि, 497 बच्चों का अभी भी पता नहीं चल पाया।
नाबालिग प्यार में पड़कर भाग रहे हैं घर से: जड़ेजा
गृह राज्यमंत्री की ओर से कहा गया था, 'ज्यादातर बच्चे प्रेम-प्रसंग की वजह से गायब हुए। छोटी सी ही उम्र में उनका किसी न किसी से प्रेम संबंध स्थापित हुए और वे घर छोड़कर निकलते रहे। कुल लापता बच्चों में से 90% बच्चे इसी तरह लापता हुए।''
गुजरात में एक साल में 2307 बच्चे लापता हुए
प्रदीपसिंह जडेजा के बयान के मुताबिक, लापता होने वाले अधिकांश बच्चे 14 से 18 वर्ष की आयु के हैं। पिछले एक साल में सबसे ज्यादा बच्चे अहमदाबाद से लापता हुए। यहां लापता 431 बच्चों में से 369 बच्चों की सुरक्षित वापसी हुई। इसी तरह राजकोट के 247 बच्चों में से 176 बच्चे वापस आ गए हैं।
यह जांच कराकर भौचक्की रह गई थी पुलिस
बच्चों के लापता होने के मामलों में पुलिस को प्रथमदृश्या लगता था कि बच्चों के अंगों को निकालने के लिए उनको किडनैप किया जा रहा है, हालांकि जांच में बच्चों के अंगों को निकालने का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
42,899 लापता बच्चो में से 40,108 को खोज निकाला
राज्य के गृह विभाग के आंकड़ों में यह भी बताया गया कि सरकार ने वर्ष 2007 से लेकर अब तक 18 वर्ष तक के 42,899 लापता बच्चो में से 40,108 बच्चों को खोज निकाला है। पिछले साल गांधीनगर से 112 और बनासकांठा से 106 बच्चे गायब हुए थे।
लापता लड़के-लड़कियों के लिए स्पेशल ड्राइव टीम का गठन
जडेजा के अनुसार, ''15 जिलों में 10 साल के लापता बच्चों को खोजने का अब एक भी मामला लंबित नहीं है। बच्चों को खोजने के लिए राज्य सरकार ने स्पेशल ड्राइव टीम का गठन किया है।