गुजरात: कोरोना से जान गंवाने वालों की लाशों का अंबार, 10-15 साल से सूने पड़े श्मशान फिर शुरू करने पड़े
सूरत। गुजरात के सूरत में रोज कोरोना के संक्रमण और लोगों की मौतों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालत यह हैं कि, एक श्मशान पर तो रोज करीब 80 लाशें पहुंचाई जा रही हैं। वहीं, अन्य श्मशान-घाटों पर भी काफी संख्या में शवदाह किए जा रहे हैं। यहां चौबीसों घंटे अंतिम संस्कार हो रहे हैं। अभी सूरत में अधिकारियों ने 15 वर्षों से बंद पड़े श्मशान को फिर से खोलने का फैसला लिया है। इसके अलावा तीन और श्मशान घाट आॅपरेशनल हुए हैं।
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एक श्मशान घाट के संचालक ने बताया कि, सूरत में रोजाना 100 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। इन दिनों तो 8-10 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। यही वजह है कि प्रशासन ने पिछले 15 वर्षों से बंद पड़े श्मशान को फिर से खोलने का फैसला किया है। इससे पहले शहर के तीन प्रमुख श्मशानों की सीमाओं का विस्तार करने और अंतिम संस्कार को सुविधाजनक बनाने के लिए नई संरचनाएं स्थापित करने का फैसला लिया गया था।
सूरत के पाल, लिम्बायत और मोटा वराछा में श्मशान सुविधाओं की कमी के कारण कई वर्षों से चालू नहीं थे। तीन श्मशान ट्रस्टों द्वारा चलाए जा रहे हैं और किसी के पास भी सक्रिय-भट्टियां नहीं हैं। पाल श्मशान इलाके की बात करें तो वहां एक खुला मैदान उपलब्ध है, जहां सोमवार को शुरुआती घंटों के दौरान 15 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।
शहर के पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन भजियावाला, जो श्मशान में एक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा, "लोगों को घंटों लाइन में से बचाने का यह एक बड़ा जरिया है। अंतिम संस्कार की अवधि को कम करने के लिए हमने यहां कई सुविधाएं विकसित की हैं। अब कई दाह संस्कार किए जा सकते हैं।" वहीं, भाजपा के पूर्व नगरपालिका पार्षद प्रवीण पटेल ने कहा, "उक्त श्मशान पिछले 10 वर्षों से उपयोग में नहीं था, लेकिन वर्तमान स्थिति में इसका उपयोग किया जाना आवश्यक है। ऐसे में हम यहां केवल कोरोना से जान गंवाने वालों का ही अंतिम संस्कार कर रहे हैं।"
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सूरत के लिम्बायत में, नदी किनारे के श्मशान में दाह संस्कार करने के लिए कई लोग राजी नहीं थे। इसे लेकर सूरत नगर निगम (एसएमसी) के एक अधिकारी ने कहा, "लकड़ी की चिता के लिए इसके दो स्टैंड हैं और तीन और स्थापित किए जा रहे हैं।" इसी प्रकार, मोटा वराछा में लकड़ी की चिता के लिए एक स्टैंड के साथ एक पारंपरिक श्मशान का उपयोग अन्य लोगों के दाह-संस्कार के लिए किया जा रहा है।
एक
अधिकारी
ने
कहा,
"अंतिम
संस्कार
करने
वाले
लोगों
की
सहायता
के
लिए
श्मशान
में
चल
रहे
ट्रस्ट
को
कर्मचारियों
की
व्यवस्था
करने
के
लिए
कहा
गया
है।"
वराछा
क्षेत्र
में
कर्मचारी
पड़ोसी
गांव
कथोरे
में
शवों
का
अंतिम
संस्कार
करने
में
मदद
कर
रहे
हैं।
मौतों
की
संख्या
अधिक
होने
के
कारण
श्मशान
घाट
पर
घंटों
इंतजार
करना
पड़
रहा
है।
लंबी
लाइनों
के
कई
वीडियो
हाल
ही
में
वायरल
हुए
थे।