रक्षाबंधन से पहले भाई ने बहन को दिया नया जीवन, अपनी किडनी डोनेट की, डॉक्टरों ने 7 घंटे में लगाई
सूरत। भाई ने अपनी एक किडनी बहन के लिए देकर उसे नया जीवन दिलाया। गुजरात में तापी जिले के व्यारा तहसील निवासी लता अरविंद माह्यावंशी (42 वर्षीय) की किडनी 4 साल पहले फेल हो गई थी। जिससे वो बीमार रहने लगी। डेढ़ साल तक उसने बहुत पीड़ा झेली। परिवार वाले उसे अस्तपालों में इलाज के लिए ले जाते थे। जहां तरह-तरह की दवाएं दी जातीं, लेकिन निदान नहीं हो पाया। फिर लता को सूरत के मिशन अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग की डॉ. वत्सा पटेल को दिखाया गया।
डॉ. वत्सा ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट करने का सुझाव दिया। तब लता के भाई हितेश ठाकुर (37 वर्षीय) ने उसे अपनी एक किडनी डोनेट करने का निर्णय लिया। हितेश के निर्णय से परिवार के लोग अवाक रह गए। हालांकि, परिवार को समझाने के बाद अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई। हितेश की एक किडनी निकाली गई। उसके बाद उस किडनी को बहन लता के शरीर में ट्रांसप्लांट किए जाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया। पूरे ऑपरेशन में नेफ्रोलॉजी डॉ. वत्सा, डॉ. अनिल पटेल, यूरोलॉजी के डॉ. चिराग पटेल, डॉ. कपिल ठक्कर, डॉ. नरेन्द्र पारेख, डॉ. राम पटेल, एनेस्थेसिया डॉ. राजीव प्रधान, डॉ. युवराज सिंह, डॉ. धवल वावलिया, आइसीयू डॉ. मिलन मोदी, डॉ. आशिष पटेल, पैथोलॉजी डॉ. हर्निष बदामी, रेडियोलॉजी डॉ. हिमांशु मंदिरवाला और माइक्रोबायलॉजी डॉ. फ्रेनिल मुनीम समेत अन्य नर्सिंग समेत 50 जनों के स्टाफ ने मदद की। चुनिंदा चिकित्सकों से तैयार टीम करीब 7 घंटे में सफल ऑपरेशन किया।
यहां
पहला
लाइव
किडनी
ट्रांसप्लांट
हुआ
डॉ.
वत्सा
ने
बताया
कि,
सूरत
में
सिर्फ
मिशन
अस्पताल
में
ही
पहला
लाइव
किडनी
ट्रांसप्लांट
हुआ
है।
उन्होंने
कहा
कि,
लोग
मरीज
के
भाई
को
दाद
दे
रहे
हैं,
जिसने
रक्षाबंधन
से
पहले
अपनी
बहन
को
किडनी
दान
कर
अपनी
ओर
से
अमूल्य
भेंट
दी।
दरअसल,
लता
(42)
की
किडनी
4
साल
पहले
फेल
हुई
थी।
वह
डायलिसिस
पर
जिंदगी
जी
रही
थी।
उन्होंने
अंगदान
प्राप्ति
के
लिए
नाम
भी
लिखवाया
था,
मगर
उनके
ब्लड
ग्रुप
से
मैच
करती
हुई
किडनी
नहीं
मिली।
तब
उसके
भाई
हितेश
(37)
ने
ही
अपनी
किडनी
देने
का
निर्णय
लिया।
हितेश
ने
डॉक्टरों
से
कहा
कि,
"मैं
डेढ़
साल
से
लता
की
हालत
गंभीर
होते
देख
रहा
हूंं।
उसे
सप्ताह
में
कम
से
कम
3
बार
डायलिसिस
करवाना
पड़ता
था।
यह
तकलीफ
मुझसे
नहीं
देखी
जा
रही।
आप
मेरी
एक
ले
लीजिए
और
बहन
को
लगा
दीजिए।"
जिसके
बाद
मिशन
अस्पताल
में
अनुभवी
चिकित्सकों
की
टीम
ने
सूरत
का
पहला
किडनी
ट्रांसप्लांट
ऑपरेशन
पूरा
किया।
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अस्पताल के प्रमुख संचालक ने कहा कि, किडनी की बीमारी से जुड़े मरीज अंग के लिए अपना नाम यहां दर्ज करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। मरीज को हर माह 6 से 7 हजार रुपए की दवा लेने के लिए कहा जाएगा।