बैंकों के निजीकरण का विरोध: हजारों बैंककर्मी हड़ताल पर, नहीं खुल रहे बैंक, क्या हैं मांगें?
सूरत। इन दिनों सरकार के विरोध में कई तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। कहीं, रोडवेज कर्मी चक्का-जाम कर रहे हैं तो कहीं भारत बंद का आयोजन हो रहा है। कहीं, बैंक-कर्मी हड़ताल पर हैं। कई दिनों से बैंकों के निजीकरण के विरोध और नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने सहित अन्य लंबित मांगों को लेकर गुजरात में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां राज्य के लगभग 20 हजार बैंक कर्मी हड़ताल को जुटे हैं।

गुजरात बैंक वर्कर यूनियन के सदस्य वसंत बारोट ने बताया कि सरकार की नीतियों के खिलाफ बैंककर्मियों में नाराजगी है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की मांग की है कि बैंकों के निजीकरण पर रोक लगे, वहीं नई पेंशन योजना रद्द कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए। इसके अलावा बाकी वसूली का समाधान नहीं करने, भाव वृद्धि पर नियंत्रण, 2014 के स्तर पर महंगाई लाने और श्रम कानून में परिवर्तन को रद्द किए जाएं। वसंत बारोट ने बताया कि, हजारों कर्मचारियों ने सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए हड़ताल का रूख किया है।

केंद्र
सरकार
की
नीतियों
के
विरोध
में
सेंट्रल
ट्रेड
यूनियनों
ने
आज
और
कल
भारत
बंद
का
आह्वान
किया
कल यानी कि 29 मार्च को भी सूरत के राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्मचारी हड़ताल करेंगे। जिसमें 5000 प्रदर्शनकारी सूरत के और बाकी गुजरात से होंगे। कुल 20 हजार बैंककर्मी हड़ताल में शामिल बताए जा रहे हैं। एक बुजुर्ग ने कहा कि, सरकार के फैसले का हम विरोध कर रहे हैं। हम बैंकों के निजीकरण के विरोध और नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने सहित अन्य लंबित मांगों को लेकर सामने आए हैं। हमारी मांगें जायज हैं। इसलिए, राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल कर रहे हैं।