तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

गोपीचंद की अकादमी में खिलाड़ी नहीं कहते-मुझे, वेज पसंद है

हैदराबाद। 'पीवी सिंधु' और 'सायना नेहवाल' ये वो नाम हैं जिन्होंने भारत का सीना विश्वपटल पर चौड़ा किया है। भारत की इन बेटियों की सफलता के पीछे जितनी इनकी मेहनत है, उससे कहीं ज्यादा उनके गुरू पुल्लेला गोपीचंद का मार्गदर्शन है। गोपीचंद ने एक बार नहीं बल्कि कई बार ये साबित कर दिया कि वो वाकई में गुरूदेव द्रोणाचार्य हैं।

मिलिए इतिहास रचने वाली पीवी सिंधु के 'द्रोणाचार्य' सेमिलिए इतिहास रचने वाली पीवी सिंधु के 'द्रोणाचार्य' से

इसलिए आज गोपीचंद अकादमी में एडमिशन लेने के लिए युवाओं में होड़ मची है। आपको बता दें कि गोपीचंद अकादमी में एडमिशन मिलना भले ही आसान हो लेकिन वहां टिक पाना बहुत मुश्किल है। वजह है वहां का कड़ा अनुशासन और डाइट-चार्ट।

Rio Olympics 2016: ये तस्वीरें हमेशा याद रहेंगीRio Olympics 2016: ये तस्वीरें हमेशा याद रहेंगी

इस अकादमी में केवल वो ही छात्र-छात्रा रह सकते हैं, जो कि चिकन खाते हैं, यहां चिकन खाना जरूरी है क्योंकि गोपीचंद का मानना है कि बैडमिंटन के खेल में लंबे वक्त तक टिके रहने के लिए इंसान के शरीर में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए और वो चिकन से ही मिल सकता है और किसी भी फूड से नहीं।

जानिए क्‍या खाती-पीती हैं 'सिंधु' जिससे रहती हैं चीते जैसी एक्टिव?जानिए क्‍या खाती-पीती हैं 'सिंधु' जिससे रहती हैं चीते जैसी एक्टिव?

प्रोटीन इंसान को एक्टिव रखता है, इसको खाने से सुचारू ढंग से ब्लड सप्लाई होती है, इंसान का वजन नहीं बढ़ता और उसकी इम्यून पावर भी मजबूत रहती है जबकि शाकाहारी व्यक्ति प्रोटीन के लिए कई चीजों पर( दूध, फल, अनाज) निर्भर होता है और मौजूदा दौर में वो भी उसे उचित मात्रा में मिल नहीं पाते हैं। इसलिए गोपीचंद ने खिलाड़ियों की इंडियन फूड आदत को बदलने की कोशिश की, जिससे की भारतीय खिलाड़ी चीनी और जापानी खिलाड़ियों से बराबरी में लड़ सके और वो इसमें कामयाब भी हुए।

सायना नेहवाल भी शाकाहारी थीं

इसलिए गोपीचंद अकादमी में हर कोई मांसाहारी है, आपको जानकर अचरज होगा कि सायना नेहवाल, सैदत्त, कश्यप जैसे देश के होनहार खिलाड़ी शुरू में मांसाहारी नहीं थे लेकिन गोपीचंद ने धीरे-धीरे इनको और इनके परिवार वालों को समझाया और इसके पीछे का जब कारण बताया, तब जाकर ये खिलाड़ी और इनके परिवार वाले इस बात के लिए राजी हुए।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है

हालांकि सायना के साथ इस बात को लेकर गोपीचंद को थोड़ा संघर्ष करना पड़ा था लेकिन आखिरकार वो सफल हुए और रिजल्ट आपके सामने हैं। इस अकादमी के स्टॉफ का कहना है कि पुलेला गोपीचंद मानते हैं कि स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ सपने को साकार करता है लेकिन स्वस्थ शरीर को पोषण की जरूरत होती है और वो पोषण अगर चिकन से मिलता है तो क्या बुराई है, क्योंकि हो सकता है कि आपका ये त्याग आपको आपकी मंजिल तक आसानी से पहुंचा दे।

सिंधु से पहले किन भारतीय महिलाओं ने दिलाया ओलंपिक में मेडल?सिंधु से पहले किन भारतीय महिलाओं ने दिलाया ओलंपिक में मेडल?

Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 13:03 [IST]
Other articles published on Nov 14, 2017
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X