हैदराबाद। भारत की सिल्वर गर्ल पीवी सिंधु की सफलता के पीछे जितना उनका प्रयास है उससे कहीं ज्यादा उनके गुरू पुल्लेला गोपीचंद की अथक मेहनत है। गुरू की इस मेहनत को शटलर क्वीन सिंधु भी मानती हैं, तभी तो उन्होंने ये कहा कि वो अपने इसी गुरू की छत्र-छाया में ही टोकियो ओलंपिक के लिए तैयारी करना चाहती है।
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गुरू को धन्यवाद देने के बाद अब बारी थी ऊपर वाले को शुक्रिया कहने की इसलिए गुरू-शिष्या की ये जोड़ी तिरूपति बालाजी के धाम पहुंची और वहां मत्था टेका। दोनों ने वहां भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद लेने के बाद मीडिया से भी कुछ देर तक बातें की। जहां सिंधु ने कहा कि वो रियो जाने से पहले भी यहां आयी थीं।
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गोपीचंद ने अपनी शिष्या की सफलता पर अपने केश, बालाजी को अर्पण किये। गौरतलब है कि बालाजी से अगर कोई मन्नत मांगी जाती है तो उसके पूरा होने पर बाल को दान देने की परंपरा है और उसकी परंपरा का पालन करते हुए गोपीचंद ने आज सिर मुंडवाया है। आपको बता दें कि मंदिर प्रशासन ने सिंधु और गोपीचंद को प्रसाद के रूप में भगवान वेंकटेश्वर का पवित्र रेशम का वस्त्र भेंट किया।